नई दिल्ली, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान अमेरिका द्वारा जारी एक बयान में भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर शब्द इस्तेमाल किए जाने के मामले को आज नयी दिल्ली ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी और कहा कि इस तरह के शब्द पूर्व में भी इस्तेमाल किए जाते रहे हैं। अमेरिकी विदेश विभाग ने सोमवार को आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के सरगना सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित करते हुए कहा था कि आतंकी संगठन ने कई हमलों की जिम्मदोरी ली है जिनमें अप्रैल 2014 में भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर में हुआ विस्फोटक हमला भी शामिल है जिसमें 17 लोग घायल हो गए थे।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गोपाल बाग्ले ने मीडिया के सवाल के जवाब में कहा कि भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर शब्द के इस्तेमाल से भारत के इस रुख की ही पुष्टि हुई है कि सैयद सलाउद्दीन भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद में शामिल रहा है। उन्होंने कहा, यही शब्द आतंकवाद पर हर साल आने वाली देश के विदेश विभाग की रिपोर्टों में इस्तेमाल होता रहा है, भारत के खिलाफ सीमा पार आतंकवाद के संबंध में 2010-2013 की अवधि सहित। भारत के इस अटल रुख से सभी भली-भांति परिचित हैं कि समूचा जम्मू कश्मीर राज्य भारत का अभिन्न हिस्सा है।
बाग्ले ने कहा कि अमेरिका प्रशासन द्वारा सैयद सलाउद्दीन को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने का भारत ने स्वागत किया है और यह बहुप्रतीक्षित कदम चर्चा में था। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से वार्ता के बाद 26 जून 2017 को जारी संयुक्त बयान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोनों पक्षों के कंधे से कंधा मिलाकर चलने की प्रतिबद्धता की सर्वाधिक मजबूत संयुक्त भावना को दर्शाता है और पाकिस्तान से यह सुनिश्चित करने को कहता है कि वह अपनी धरती का इस्तेमाल दूसरे देशों पर आतंकी हमलों के लिए न होने दे।
कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बुधवार को नरेंद्र मोदी सरकार से आधिकारिक बयान में जम्मू कश्मीर को भारत प्रशासित करार दिए जाने के बारे में पूछा था और कहा था कि नयी दिल्ली ने इसे कैसे स्वीकार कर लिया। चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा था, अमेरिका के आधिकारिक बयान में भारत प्रशासित जम्मू कश्मीर शब्द का इस्तेमाल किया गया। भारत ने इसे कैसे स्वीकार कर लिया?