कोच्चि, हृदयरोग विशेषज्ञों का कहना है कि हालांकि दुनिया भर में दिल के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, भारत में स्थिति और भी खतरनाक है। दुनिया भर के पांच प्रमुख कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी के अध्यक्षों ने कल यहां कार्डियोलॉजिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (सीएसआई) के 68वें वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लिया।
उन्होंने इस दौरान कहा कि हाल में आए कई रिपोर्ट में दिल की बीमारियों के तेजी से बढ़ने के साथ भारत कई चुनौतियों का सामना कर रहा है। अमेरिकन हाट्र्स एसोसियेशन के अध्यक्ष प्रोफेसर मार्क क्रीगर ने कहा कि दिल की बीमारी के बढ़ने में मधुमेह एक बड़ा कारक है। यहां जारी की गयी एक विज्ञप्ति के अनुसार क्रीगर ने कहा, उच्च रक्तचाप और कोलेस्ट्रॉल वाले मधुमेह के मरीजों को दिल की बीमारियां होने का ज्यादा खतरा है।
उन्होंने आगाह किया कि मधुमेह के मरीजों के अपने शर्करा का स्तर नियंत्रित ना करने पर उन्हें दिल की बीमारी हो जाएगी। वल्र्ड हार्ट फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ सलीम यूसुफ ने कहा कि दिल की बीमारियों से भारत में काफी लोग मारे जाते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को स्वस्थ दिल के लिए अपने दैनिक आहार में कार्बोहाइड्रेट की मात्रा कम कर देनी चाहिए और ज्यादा फल शामिल कर लेने चाहिए। यूसुफ ने दिल की बीमारी से बचने के लिए नियमित व्यायाम के महत्व पर भी जोर दिया। यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के अध्यक्ष जेरोएन बाक्स ने कहा कि दिल की बीमारियों का पता लगाने के लिए नयी तकनीकों का विकास किया गया है लेकिन नयी तकनीक एवं पद्धतियों को लेकर लोगों का रवैया बदलने की जरूरत है।