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भारत में चार करोड महिलाएं, एकाकी जीवन व्यतीत करने को मजबूर

उदयपुर , भारत में तीन करोड 98 लाख महिलाएं एकल जीवन व्यतीत करने को बाध्य है जिनमें से आधी से अधिक गरीब हैं।
राष्ट्रीय एकल नारी अधिकार मंच द्वारा किये गये एक सर्वे के अनुसार इनमें विधवा महिलाओं की संख्या तीन करोड 41 लाख 62 हजार 051 तलाकशुदा एवं परित्यक्ता महिलाएं 22 लाख 86 हजार 788 तथा अविवाहित महिलाएं ;30 वर्ष या उससे अधिक उम्र की 33 लाख 17 हजार 719 है।

मंच की सचिवालय सदस्य डा़ जिनी श्रीवास्तव के अनुसार इनमें से अधिकांश महिलाएं बिखरे घर, टूटे संबंधों, वैध्वय, बीमारी, बच्चों की परवरिश, अशिक्षा, सामाजिक बंधनों, शोषण, अत्याचार, दोहन, एकाकीपन, आजीविका कमाने आदि चुनौतियों से अकेली जूझ रही हैं।

मंच ने सर्वे में बिहार, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड,महाराष्ट्र और राजस्थान की एकल महिलाओं की जानकारी संग्रहित की हैं। पिछले दो दशकों में बच्चियों का स्कूलों में नामांकन बहुत बढा है लेकिन बहुत सी व्यस्क महिलाएं इस बदलाव का भाग नहीं रही हैं और आज भी अशिक्षित हैं।

सर्वे के अनुसार उत्तर भारत में स्थिति दक्षिण भारत के मुकाबले अधिक खराब हैं। दक्षिण भारत में महिलाओं को पीहर से अधिक सहयोग मिलता हैं। शोध के अनुसार 67 प्रतिशत महिलाएं अपने ससुराल के गांव में ही रह रही थी लेकिन तीन प्रतिशत अपने ससुराल पक्ष के परिवारजनों के साथ ही एक ही परिवार में रह रही थी। सर्वे में बताया गया कि सम्पूर्ण देश में 27 प्रतिशत महिलाएं अपने पीहर के गांव में रह रही थी जबकि दक्षिण भारत में यह आंकडा 43 प्रतिशत हैं और उत्तर भारत में केवल छह प्रतिशत ही है। लेकिन उत्तर भारत में चार प्रतिशत और दक्षिण भारत में छह प्रतिशत महिलाएं ही अपने भाई या पिता के परिवार के साथ रह रही हैं।

सर्वे के अनुसार आधी से भी अधिक सहभागी 45 वर्ष से कम आयु की हैं जबकि केवल 7ण्3 प्रतिशत ही 60 या उससे अधिक वर्ष की हैं। समूह की औसतन आयु कम होने के बावजूद भी आधी से कम महिलाएं साक्षर हैं। जो महिलाएं साक्षर हैं उनमें से बहुत सी महिलाओं ने प्राथमिक और मध्य स्कूल के बाद पढाई छोड दी जिससे पता चलता है कि सहभागियों का विवाह कम उम्र में हुआ।

मंच के अनुसार ऐसी एकल महिलाएं अपने भाईए पिता या ससुुराल पक्ष पर निर्भर परिवार की सदस्य नहीं हैं बल्कि वह स्वयं अपने परिवार की मुखिया हैं। इसमें 65 प्रतिशत विधवा महिलाएं अपने ससुराल के गांव में रहती हैं जबकि 75 प्रतिशत परित्यक्ता एवं तलाकशुदा महिलाएं अपने मायके के गांव में रहती हैं। एकल महिलाएं अक्सर अन्य रिश्तेदारों के साथ एक ही मकान में रहती हैं लेकिन वह स्वयं एवं बच्चों के लिए खुद जिम्मेदार हैं।