भारत में बच्चों की वास्तविक स्थिति जानने के लिये पढ़िये यूनिसेफ की यह रिपोर्ट

नयी दिल्ली , यूनिसेफ ने भारत में अपनी लगभग 70 वर्ष की यात्रा में बेहतर भविष्य के सपने को साकार करने में लाखों बच्चों की मदद की है लेकिन गरीबी ,धर्म ,लिंग तथा दिव्यांगता के कारण लाखों बच्चे अभी भी इस दौड़ में पीछे छूट गये हैं।
भारत में यूनिसेफ की प्रतिनिधि लुइस जार्जस आर्सेनाल्ट ने यूनिसेफ की स्थापना के 70 वर्ष पूरा होने के माैके पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहाएष्भारत में यूनिसेफ की यात्रा के दाैरान बेहतर भविष्य के लाखों बच्चों के सपनों को पूरा करने में मदद की गयी। हर बच्चे को नये जीवन की शुरूआत का मौके मिले , आज हम इसके लिए सरकार के साथ मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त करते हैं।हर बच्चा स्वस्थ ,सुरक्षित और शिक्षित हो एयह हमारी संयुक्त जिम्मेदारी है।
यूनिसेफ ने बताया कि भारत में 60 लाख से ज्यादा बच्चे स्कूल नहीं जाते , करीब एक करोड़ काम करते हैं , प्रतिदिन तकरीबन 3200 बच्चे पांच वर्ष की आयु पूरा करने से पहले काल की गाल में समा जाते हैं, पांच वर्ष से कम आयु के 39 प्रतिशत बच्चे मृत पैदा होते हैं जबकि करीब आधी आबादी को शौचालय की जरूरत है।
भारत मेें लड़कियों को भी समान अवसर मिलने पर जोर देते हुए अंतरराष्ट्रीय संस्था ने कहा कि अौसतन 22 लाख 20 हजार लड़कियों की समय से पहले शादियां हो जातीं हैं और 34 प्रतिशत शादीशुदा लड़कियां शारीरिक एवं यौन हिंसा की शिकार होती हैं और करीब 46़ 7 प्रतिशत लडकियां बारहवीं कक्षा पास करने से पहले ही पढाई छोड देतीं हैं।
यूनिसेफ 2019 तक भारत को खुले में शौच से मुक्त कराने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मिशन में मदद कर रहा है । भारत में अपनी उपलब्धियां गिनाते हुए संस्था ने बताया कि उसने देश में पहला पेंसिलिन संयंत्र स्थापित करने ,सूखे से निपटने के लिए इंडिया मार्क 11 हैंडपंप बनाने, बच्चों के शिक्षा अनिवार्य बनाने सम्बन्धी कानून बनाने में तथा 2014 में पोलियो मुक्त बनाने में मदद की तथा अमूल के साथ हाथ मिलाया हे।