Breaking News

भारत यदि अरुणाचल प्रदेश का तवांग दे तो चीन दे सकता है कश्‍मीर का अक्‍साई चिन ?

indiachina-03-03-2017-1488516085_storyimageनई दिल्ली,  यदि अरुणाचल प्रदेश का तवांग चीन को यदि भारत देता है तो वह अक्‍साई चिन में अपने कब्‍जे का एक हिस्‍सा भारत को दे सकता है. भारत-चीन सीमा विवाद निपटारे के मसले पर चीन के एक पूर्व शीर्ष अधिकारी ने कहा है कि अरुणाचल प्रदेश का तवांग, तिब्‍बत का एक अभिन्‍न हिस्‍सा है. ऐसे में तब तक सीमा विवाद को नहीं सुलझाया जा सकता जब त‍क कि पूर्वी क्षेत्र में भारत कोई रियायत देने पर सहमत नहीं होता. यदि भारत ऐसा करता है तो अक्‍साई चिन क्षेत्र में चीन, भारत को रियायत दे सकता है.

चीन के पूर्व शीर्ष अधिकारी दाई बिंगुओ ने इशारों में बीजिंग के एक प्रमुख अखबार को इंटरव्‍यू देने के दौरान कहा कि यदि भारत पूर्वी सीमा पर चीन की चिंताओं का ख्‍याल रखेगा तो बदले में चीन भी भारत की चिंताओं के बारे में जरूर काम करेगा. इस इंटरव्‍यू में दाई ने यह भी कहा कि सीमा विवाद के अभी तक जारी रखने का सबसे बड़ा कारण यह है कि चीन की वाजिब मांगों को अभी तक पूरा नहीं किया गया है. अरुणाचल प्रदेश के तवांग पर चीन की नजर है और वह इसे दक्षिणी तिब्‍बत कहता है क्‍योंकि 15वीं शताब्‍दी के दलाई लामा का यहां जन्‍म हुआ था. हालांकि यह भी सही है कि कई कारणों से तवांग का आदान-प्रदान भारत के लिए किसी भी कीमत पर आसान नहीं होगा. दरअसल यहां पर तवांग मठ स्थित है जोकि भारत समेत तिब्‍बत के बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए खासा महत्‍व रखता है. दूसरी खास बात यह है कि तवांग के लोग भारत से गहरी आत्‍मीयता का नाता रखते हैं. वहां बड़ी संख्‍या में लोग हिंदी बोलते हैं और जय हिंद एवं भारत माता की जय बोलने में गर्व का अनुभव करते हैं. इस आधार पर विश्‍लेषकों का कहना है कि भारत तवांग को कभी नहीं छोड़ेगा.

दाई बिंगुओ  करीब एक दशक से भी अधिक समय तक भारत-चीन सीमा विवाद के निराकरण के लिए चीन की विशेष प्रतिनिधि वार्ता के मुखिया थे. वह 2013 में रिटायर हो चुके हैं लेकिन उनको अभी भी चीन सरकार का करीबी माना जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *