जौनपुर, उत्तर प्रदेश के जौनपुर में वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्य ने रविवार को कहा कि भ्रूण से शिशु ही नहीं बल्कि उसके संस्कार का भी जन्म होता है।
प्रोफेसर मौर्य ने कहा कि हिंदू धर्म के 16 संस्कारों में एक संस्कार गर्भ संस्कार भी है। इस संस्कार को आत्मसात करके हम शिशु के अंदर अच्छे संस्कार प्रदान कर सकते हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। अधिकतर महिलाएं जागरूकता के अभाव में इस पर ध्यान नहीं देती हैं। उनका मानना है कि भ्रूण से शिशु के साथ उसके संस्कार का भी जन्म होता है।
कुलपति ने कहा कि भागवद् गीता की तरह रामायण और हरिवंश पुराण जैसी पौराणिक किताबों में भी गर्भ संस्कार का वर्णन है। इन्हें पढ़ने से मानसिक स्थिति संतुलित रहती है और ईश्वर के बनाए गए मूल्यों का ज्ञान प्राप्त होता है। गर्भवती महिलाएं रामायण या अपने धर्म के किसी भी ग्रंथ को पढ़कर अपने बच्चे में संस्कार डालने की शुरुआत कर सकती हैं।
उन्होंने कहा कि आदिकाल से ही यह प्रथा हिन्दू परंपरा का हिस्सा रहीं हैं और उदाहरण के तौर पर देखे तो गर्भ संस्कार का असर अभिमन्यु, अष्टक्रा और प्रह्लाद जैसे पौराणिक चरित्रों पर बहुत सकारात्मक रूप में पड़ा था, जैसा की कहानियों में स्पष्ट किया गया है की ये अपनी माता के गर्भ से ही ज्ञान अर्जित कर के आये थे।
प्रो मौर्य की पुस्तक गर्भ संस्कार: एक उत्कृष्ट परंपरा का विमोचन पिछले शुक्रवार को उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल ने किया था। उन्होने कहा कि यह पुस्तक कुलाधिपति की प्रेरणा से ही लिखी। कुलाधिपति ने एक मीटिंग में महिलाओं के गर्भ संस्कार के बारे में चर्चा की थी। इसी के बाद इस पुस्तक को लिखने का मन बना। इस पुस्तक के सहलेखक डॉ. प्रमोद कुमार श्रीवास्तव हैं, जो गाजीपुर के महाविद्यालय में शिक्षक हैं।
उन्होने कहा कि यह पुस्तक सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा की स्रोत बनेंगी ऐसा मुझे विश्वास है। इसे बुकलेट फॉर्म प्रकाशित कर पूर्वांचल विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों की छात्राओं शिक्षकों और अन्य गांव की महिलाओं को वितरित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोग इसे पढ़े और इसका लाभ उठा सकें।