मतदाता पंजीकरण केंद्रों पर तैनात ऑपरेटरों को जाति के आधार पर न हटाएं आयोग : सपा

लखनऊ, समाजवादी पार्टी (सपा) ने निर्वाचन आयोग से मांग की है कि मतदाता पंजीकरण केन्द्रों (वीआरसी) पर कई वर्षों से कार्यरत यादव और मुस्लिम समुदाय के कम्प्यूटर ऑपरेटरों को जातिगत आधार पर सेवा से हटाए जाने की कार्रवाई तुरंत रोकी जाए और जिन्हें हटाया गया है उन्हें बहाल किया जाए। इस बावत पार्टी की तरफ से मुख्य निर्वाचन अधिकारी को शिकायती ज्ञापन सौंपा गया है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के निर्देश पर प्रदेश अध्यक्ष श्याम लाल पाल की ओर से सौंपे गए ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि भाजपा सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और नेताओं के दबाव में निर्वाचन प्रक्रिया में लगे कर्मचारियों के साथ भेदभाव हो रहा है। इससे मतदाता सूची शुद्धिकरण प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता प्रभावित हो रही है।

ज्ञापन में कहा गया है कि फर्रूखाबाद जनपद में विधानसभा क्षेत्रों फर्रुखाबाद, भोजपुर और कायमगंज में कार्यरत कुं• टीनम यादव, सुनील यादव और असलम खान को बिना किसी ठोस कारण के जिला निर्वाचन अधिकारी के अनुरोध पर बर्खास्त कर दिया गया है। इसे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में हस्तक्षेप कर संवैधानिक अधिकारों का हनन बताया गया है।

सपा ने प्रयागराज जिले की प्रतापपुर, सोरांव, फाफमऊ, हंडिया और फूलपुर विधानसभा में बीएलओ द्वारा बड़ी संख्या में मतदाताओं के गणना प्रपत्र “थर्ड ऑप्शन” में सबमिट किए जाने को गंभीर अनियमितता बताया है। पार्टी का कहना है कि अधिकतर मतदाताओं ने 2003 की मतदाता सूची में दर्ज परिवारिक विवरण सही-सही प्रस्तुत किए हैं, फिर भी जानबूझकर उन्हें तीसरे विकल्प में डालकर दस्तावेज़ मांगने हेतु नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है। इससे वैध मतदाताओं को अनावश्यक परेशान किया जा रहा है।

रायबरेली के ऊँचाहार विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं को गणना प्रपत्र की रिसीविंग न दिए जाने की शिकायत भी उठाई गई है। वहीं गोंडा में 2003 की मतदाता सूची की मैपिंग और मैचिंग न होने से लोगों को फॉर्म भरने में अत्यधिक कठिनाई हो रही है। सपा का आरोप है कि जिला प्रशासन की लापरवाही से निर्दोष मतदाताओं को बड़े पैमाने पर नोटिस भेजे जाएंगे।

जौनपुर के केराकत और चित्रकूट के मानिकपुर में भी इसी प्रकार की अनियमितताओं का हवाला देते हुए कहा गया है कि अधिकांश गणना प्रपत्र बिना कारण तीसरे विकल्प में सबमिट किए जा रहे हैं, जिससे विशेष रूप से मुस्लिम मतदाता प्रभावित होंगे।

सपा ने स्पष्ट कहा है कि यदि निर्वाचन आयोग और शासन इस मामले को गंभीरता से नहीं लेते, तो पार्टी लोकतांत्रिक तरीके से बड़े आंदोलन को मजबूर होगी।

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