नई दिल्ली, मथुरा के जवाहरबाग में हुई हिंसा का मुख्य आरोपी 60 वर्षीय रामवृक्ष यादव के मारे जाने की पुष्टि हो गई है। उत्तर प्रदेश के डीजीपी जावीद अहमद के मुताबिक उसके शव की पुष्टि हो गई है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक रामवृक्ष के परिवार को पुष्टि के लिये बुलाया गया है। रामवृक्ष के शव की पहचान जेल में बंद उसके साथी हरिनाथ ने की है। 2 जून को घटनास्थल से मिले शवों की फोटो खींचकर पुलिस ने जेल में बंद रामवृक्ष के साथियों को पहचान के लिए दिखाई थी। हरिनाथ ने कंफर्म किया कि मरने वालों में रामवृक्ष भी शामिल है। उसके साथ ही 3-4 और शवों की पहचान हुई है। डीजीपी जावीद अहमद ने कहा कि कोर ग्रुप के लोग जब पकड़े जाएंगे, तब आगे की कार्रवाई पर फैसला होगा। इस हिंसक घटना में एक एसपी और एक एसएचओ समेत अब तक 27 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि करीब दो दर्जन पुलिसकर्मी और कई उपद्रवी भी घायल हुए हैं।
यूपी पुलिस के ऑपरेशन जवाहर बाग के दौरान कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। जवाहर बाग के जिस सैकड़ों एकड़ जमीन पर रामवृक्ष और उसकी गैंग के लोगों ने कब्जा कर रखा था, वहां से बड़े पैमाने पर हथियारों का जखीरा बरामद किया गया। जब पुलिस ने उन्हें वहां से हटाने का प्रयास किया तो हिंसा भड़क गई। पुलिस महानिरीक्षक (कानून व्यवस्था) एसआर शर्मा ने कहा कि अतिक्रमणकारियों द्वारा किये गये गैस सिलेंडर विस्फोटों से लगी आग में जिन 11 लोगों की मृत्यु हो गई उनमें यादव शामिल था। आईजी (आगरा) दुर्गाचंद्र मिश्रा ने बताया कि तीन और घायलों की मौत के बाद मृतक संख्या 27 हो गई है। मुख्य चिकित्सा अधिकारी विवेक मिश्रा ने बताया कि अभी तक कई शवों की पहचान नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि शवों को 72 घंटे शवगृह में रखना होगा और यह समय रविवार की शाम को समाप्त हो जाएगा। इसके बाद पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा। मिश्रा के अनुसार 18 शव मथुरा जिला केंद्र में हैं और सात आगरा में हैं। शहर में कड़े सुरक्षा इंतजाम हैं जहां पुलिस ने भाजपा सांसद हेमा मालिनी को हिंसा प्रभावित इलाके में जाने से रोका। इसके लिए जांच और पुलिस के अभियान का हवाला दिया गया।