नई दिल्ली, देश के मदरसों को मुख्यधारा की शिक्षा देने के लिए प्रोत्साहित करने और इनको सरकारी अनुदान मुहैया कराने को लेकर तौर-तरीकों को तय करने के लिए केंद्र सरकार की ओर से गठित विशेषग्य समिति का कहना है कि इस कवायद में मदरसों के मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं सुझाया जाएगा, लेकिन इस बात पर जोर होगा कि किस तरह से इन धार्मिक शिक्षण संस्थानों तक सरकारी मदद पहुंचाई जा सके और इनमें पढ़ने वाले बच्चों को रोजगार से जोड़ा जा सके।
इस समिति ने अगले महीने के आखिर में अपनी रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपने की योजना बनाई है। केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने हाल ही में सात सदस्यीय विशेषग्य समिति का गठन किया था। मदरसा सशक्तिकरण कार्यक्रम की यह पहल मंत्रालय की अधीनस्थ संस्था मौलाना आजाद शिक्षा प्रतिष्ठान (एमएईएफ) के तहत हुई है। समिति के संयोजक सैयद बाबर अशरफ ने कहा, यह बात स्पष्ट है कि हम मदरसों के मूल स्वरूप में बदलाव सुझाने नहीं जा रहे। हमारा कहना है कि मदरसों में धार्मिक शिक्षा पहले की तरह चलती रहे, लेकिन आधुनिक शिक्षा को कैसे जोड़ा जाए, इस दिशा में प्रयास होगा। इस संदर्भ में हम तौर-तरीकों पर विचार कर रहे हैं। मदरसों और उनमें पढ़ने वाले बच्चों को सरकारी योजनाओं का फायदा कैसे मिले, उनको अनुदान कैसे मिले, इन बातों पर गौर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, हम 20 से 25 फरवरी के बीच रिपोर्ट सरकार को सौंपने की सोच रहे हैं और इसी को ध्यान में रखते हुए काम कर रहे हैं। सरकार की यह नेक पहल है जिसमें सभी को साथ देना चाहिए।