वेटिकन सिटी, रविवार को एक ऐतिहासिक पल मे वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि दी. भारत सरकार की ओर से विदेश मंत्री सुषमा स्वराज खुद इस पल की गवाह बनीं तो पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और दिल्ली के मुख्यमंत्री भी मौजूद रहे.कोलकाता के आर्कबिशप थॉमस डीसूजा के अलावा भारत से 45 बिशप इस समारोह के लिए वेटिकन में रहे. पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत का दर्जा देने की घोषणा मार्च में की थी.
संत यानी सीधे ईश्वर का हिस्सा, जिनके आदर्श और बातें सीधे ईश्वर की बातें मानी जाती हैं. संत टेरेसा का जीवन एक मिसाल है. कैसे अकाल और युद्ध में घायलों के लिए उन्होंने अपनी जिंदगी दे दी.मानवता की सेवा करने वाली संत टेरेसा का पूरा जीवन ही दीन-दुखियों के लिए था. संत टेरेसा जैसी शख्सियत मरती नहीं. आज से ईश्वर का हिस्सा बनीं ममतामयी मदर टेरेसा ने दो बार अपने चमत्कार से दुनिया को विस्मृत किया और आज भी करोड़ों लोगों के जेहन में जिंदा हैं. इसीलिए हम उन्हें संत कहते हैं.
मदर टेरेसा का निधन पांच सितम्बर, 1997 को हुआ था. पोप फ्रांसिंस ने उनकी 19वीं पुण्यतिथि की पूर्वसंध्या पर मास (विशेष प्रार्थना) का आयोजन किया और इसी दौरान उन्हें संत की उपाधि दी गई. इस समारोह में पूरे इटली से करीब 1,500 बेघर लोगों को बस से रोम लाया गया और उसके बाद ‘सिस्टर्स ऑफ चैरिटी’ की 250 ननों और पादरियों द्वारा पिज्जा भोज परोसा गया. वेटिकन ने 2002 में घोषित किया था कि मदर टेरेसा से प्रार्थना करने के बाद एक भारतीय महिला के पेट का ट्यूमर चमत्कारिक रूप से ठीक हो गया था. पोप फ्रांसिस ने 2015 में ही उनके नाम एक और चमत्कार को मान्यता दे दी थी. इसके बाद उन्हें संत बनाए जाने का रास्ता साफ हो गया था.
वेटिकन सिटी पूरी तरह से सज-धज कर इस सेरेमनी के लिए तैयार हुई थी. संत टेरेसाका रिश्ता भारत से है तो भारत में इस ऐतिहासिक पल को लेकर जोश दुनिया से निराला है. कोलकाता में उनकी मिशनरी से लेकर बैंगलोर, रांची और जगह-जगह संत टेरेसा की प्रार्थना की जा रही है.भारत के लिए मदर को मिलने वाली संत की उपाधि एक बड़े सम्मान की बात है. खुद प्रधानमंत्री ने मन की बात में इसकी चर्चा की थी.