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मधुमक्खी पालन किसानों के लिए बना बेहतर कमाई का जरिया

भदोही,  उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में घरेलू उद्योग के रूप में मधुमक्खी पालन का प्रचलन तेजी से पनप रहा है। खेती-बाड़ी के साथ किसान मधुमक्खी पालन कर अपनी आर्थिक सेहत सुधारने की कवायद में जुटे हैं।

जिला उद्यान अधिकारी ममता सिंह यादव ने शुक्रवार को बताया कि इन दिनों जिले में 40 कृषक खेती-बाड़ी के साथ मधुमक्खी पालन कर अपनी आर्थिक सेहत सुधारने में जुटे हैं। पूर्वाचल के कई जिलों में कालीन नगरी भदोही की शहद मिठास घोल रही है। कम लागत और समय में मधुमक्खी पालन किसानों के लिए ज्यादा कमाई का जरिया बन रहा है।

उन्होंने बताया कि राज्य औद्योगिक मिशन योजना के तहत कृषकों को बैंक लोन दिलाकर मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित किया जा रहा है। इन दिनों जिले के महराजगंज, खेम्हई, गोपीगंज और डीघ सहित कुल ढाई दर्जन से अधिक गांवों के किसान मधुमक्खी पालन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं।

ममता सिंह ने बताया कि विशेष तरह के बक्सों में मधुमक्खी पालन किया जाता है। लगभग हर 20 से 25 दिनों के अंतराल पर एक बॉक्स में 8 से 10 किलो तक शुद्ध शहद निकल जाती है। इन दिनों बाजार में ढाई से तीन सौ रूपए प्रति किलो के भाव से शहद बिक रही हैं।
जिला उद्यान अधिकारी ने बताया कि विशेष सावधानी बरतकर मधुमक्खी पालन से अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। इसमें तीन प्रकार की

मधुमक्खियों की जरुरत होती है। पहली रानी मधुमक्खी जो चौबीस घंटे में करीब 1000 से 1500 अंडे देती है। दूसरी श्रमिक माखी मधुमक्खी जो अंडे से निकले बच्चों को खाना खिलाने का कार्य करती है। तीसरी रानी मक्खी को गर्भ धारण कराने का काम करता है। एक डिब्बे में इनकी संख्या तीन से चार सौ तक रखी जा सकती है। मधुमक्खी पालन के लिए कृषि विज्ञान केंद्र पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है जहां किसानों को मधुमक्खी पालन के लिए प्रेरित करने सहित उनको प्रशिक्षित किया जा रहा है।

कालीन नगरी की मधुर शहद इन दिनों वाराणसी, प्रयागराज, मिर्जापुर, जौनपुर एवं सोनभद्र सहित पूर्वांचल के कई अन्य जनपदों में धूम मचा रही है।