मुंबई , पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों और बैंकों द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी से घरेलू बाजार में अब यात्री वाहनों की बिक्री सुस्त पड़ने लगी है तथा त्योहारी मौसम के बावजूद इसमें तेजी नहीं आ पायी।
साख निर्धारक एवं बाजार अध्ययन एजेंसी क्रिसिल ने आज जारी एक रिपोर्ट में कहा है कि सितम्बर और अक्टूबर में त्योहारी मौसम के बावजूद यात्री वाहनों की बिक्री में कुल करीब दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है। उसने बताया कि चालू वित्त वर्ष के पहले सात महीने में अप्रैल से अक्टूबर तक देश में इस श्रेणी के वाहनों की बिक्री मात्र छह फीसदी बढ़ी है और इसके मद्देनजर एजेंसी ने वर्ष के लिए वृद्धि दर का अनुमान पहले के नौ से 11 प्रतिशत से घटाकर सात से नौ प्रतिशत कर दिया है।
क्रिसिल का कहना है कि यात्री वाहनों की बिक्री में गिरावट के चार प्रमुख कारण रहे हैं। ये हैं . ईंधन की कीमतों में तेज बढ़ोतरीए ब्याज दर का बढ़नाए बीमा प्रीमियम का बढ़ना और कंपनियों का नये मॉडल लॉन्च नहीं करना। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले कुछ महीने में अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत तेजी से बढ़ी और यह क्रम अक्टूबर के मध्य तक जारी रहा। इस दौराना तेल विपणन कंपनियों ने देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में काफी वृद्धि की। हालाँकिए इसके बाद 14 नवंबर तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में 28 प्रतिशत की गिरावट आयी हैए लेकिन इसका पूरा फायदा घरेलू ग्राहकों को नहीं मिला है तथा पेट्रोल मात्र 10 प्रतिशत सस्ता हुआ है।
ईंधन की बढ़ती कीमतों के कारण वाहन मालिकों के लिए वाहन रखना महँगा हो गया है। इसमें ब्याज दरों में बढ़ोतरी को भी एक कारक बताया गया है। एक तरफ वाहन निर्माता कंपनियों द्वारा वाहनों की कीमत बढ़ाने और दूसरी तरफ ब्याज दरों में 0ण्25 प्रतिशत तक की वृद्धि से फाइनेंस पर वाहन लेने वालों पर मासिक किस्त का बोझ बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसारए नये मॉडलों की कमी से बाजार में ग्राहक धारणा कमजोर है। वित्त वर्ष 2016.2017 में जहाँ चार बड़े नये मॉडल लॉन्च किये गयेए वहीं 2017.2018 और 2018.19 में मात्र एक.एक बड़ा मॉडल लॉन्च हुआ। नये मॉडलों की बजाय पिछले एक साल में बाजार में पुराने मॉडलों के नये अवतारों की भरमार रही है।