मुंबई, शिवसेना ने आज कहा कि आंतरिक सुरक्षा को लेकर सरकार का प्रस्तावित कानून लोकतंत्र के लिए एक झटका होगा और अगर यह लागू होता है तो राज्य में आपातकाल से बदतर हालात हो जाएंगे। शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में कहा, क्या सरकार आंतरिक सुरक्षा के नाम पर राज्य में आपातकाल लगाने की कोशिश कर रही है, इसका विरोध होना चाहिए। यह कानून आपातकाल से बदतर है जिसे 1975 में (पूर्व प्रधानमंत्री) इंदिरा गांधी ने लागू किया था। सरकार में साझेदार पार्टी ने कहा, जो आज सत्ता (भाजपा) में हैं उन्होंने तत्कालीन सरकार पर विभिन्न आरोप लगाए थे हालांकि इस तरह की कोई शिकायत नहीं है जो यह साबित करे कि आम लोगों को परेशानी हुई थी। पार्टी ने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र आंतरिक सुरक्षा कानून से मौजूदा फड़णवीस सरकार लोगों के भरोसे के साथ विश्वासघात कर रही है। उसने कहा, यह लोगों की आजादी को कुचलने की एक कोशिश है और लोकतंत्र को एक झटका है। राज्य में अचानक से क्या हो गया जिससे आंतरिक सुरक्षा को खतरा पैदा हो गया। अगर आपातकाल लागू करना है तो इसे कश्मीर में करें या गुजरात में करें जहां पत्रकारों की हत्या की जा रही है और दलितों पर अत्याचार हो रहे हैं। शिवसेना ने दावा किया कि प्रस्तावित कानून पुलिस को शादियों और बच्चों के नामकरण के समारोह में हिस्सा लेने वाले व्यक्तियों पर सख्ती बरतने की अभूतपूर्व शक्तियां देता है। पार्टी ने पूछा, अगर कल अमिताभ बच्चन के पीछे उनके 100 या ज्यादा प्रशंसक हों या अगर आप शिवसेना दफ्तर के बाहर 100 से ज्यादा उत्साही लोगों को देखें तो क्या उन्हें जेल में बंद कर देंगे? आंतरिक सुरक्षा को लेकर प्रस्तावित कानून अगर लागू होता है तो यह ऐसा पहला राज्य स्तरीय कानून होगा जो पुलिस महकमे को अभूतपूर्व शक्तियां प्रदान करेगा।