कोल्हापुर, वरिष्ठ साहित्यकार, अंबेडकरवादी लेखक और चिंतक डा. कृष्ण किरवाले की पश्चिमी महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में स्थित अपने मकान में हत्या कर दी गई। किरवाले के शरीर पर चाकू से तीन-चार बार वार किए गए, जिस कारण उनकी मृत्यु हो गई। 61 साल के किरावले कोल्हापुर के शिवाजी विश्वविद्यालय के मराठी विभाग के प्रमुख के पद से पिछले साल ही सेवानिवृत्त हुए थे।
घटना के बाद उनके समर्थक कोल्हापुर में स्थित उनके आवास के पास जमा हो गए और इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। इस मामले की जांच स्थानीय राजारामपुरी पुलिस स्टेशन कर रही है। मिली जानकारी के अनुसार डॉ. कृष्णा किरवले की हत्या उनके आवास पर ही की गई है। पुलिस के अनुसार, उन्होंने अपने घर में फर्नीचर का काम करवाया था। फर्नीचर के पैसे के लेनदेन की वजह से उनकी हत्या हुई है , लेकिन उनके समर्थक इसे मानने को तैयार नहीं हैं।
डॉ. कृष्णा किरवाले ने दलित आंदोलन व साहित्य से संबंधित कई पुस्तकें लिखी हैं । वह प्रख्यात लेखक व साहित्यकार डॉ. गंगाधर पानतावणे को अपना गुरु मानते थे। वर्ष 2012 में जलगांव में संपन्न हुए अस्मितादर्श साहित्य सम्मेलन का अध्यक्ष पद भी उन्होंने विभूषित किया था। किरवाले के प्रमुख योगदान में दलित एवं ग्रामीण साहित्य का शब्दकोश है। यह परियोजना राज्य सरकार के तहत चलायी गयी थी। उनकी अन्य पुस्तकों में दलित साहित्यकार बाबूराव बांगुल की जीवनी शामिल है। किरवाले ने अम्बेडकरवादी साहित्य पर विशेष रूप से तथा मराठी साहित्य पर कई बार व्याख्यान दिये थे। किरवाले के निधन पर शोक जताते हुए विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष धनंजय मुंडे ने कहा कि महाराष्ट्र में कानून एवं व्यवस्था की स्थिति ध्वस्त हो गयी है।