शिमला, हिमाचल प्रदेश में सरकार कई वर्गों को सबसिडाइज्ड यात्रा सुविधा दे रही है, जिसमें कटौती हो सकती है। जिस तरह से सरकार ने 125 यूनिट मुफ्त बिजली की राहत को बंद करने का निर्णय लिया है, उससे दूसरी सुविधाओं पर भी संकट खड़ा हो गया है।
खुद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू पहले से यह कह रहे हैं कि कड़े फैसले लेने होंगे, जिनसे लोगों को परेशानी भी होगी, लेकिन हिमाचल के हितों में ये कड़वे फैसले लेने बेहद जरूरी हैं। ऐसे में एचआरटीसी के माध्यम से दी जा रही सुविधाओं में कटौती हो सकती है।
वर्तमान में प्रदेश की महिलाओं को एचआरटीसी बसों के सफर में 50 फीसदी दरों पर ही सफर की सुविधा है और माना जा रहा है कि फ्री बिजली के बाद सरकार इसे बंद कर सकती है। इसमें भी कुछ मापदंड तय हो सकते हैं, क्योंकि इससे एचआरटीसी को 150 करोड़ से लेकर 170 करोड़ रुपए तक का नुकसान सालाना हो रहा है। महिलाओं को यात्रा पर 50 फीसदी की छूट को बंद करने या फिर इसमें किसी तरह की कमी करने को लेकर भी अंदरखाते चर्चा चल रही है। अभी एचआरटीसी की तरफ से ऐसा कोई प्रस्ताव अलग से नहीं गया है, लेकिन घाटे के कारणों को लेकर एचआरटीसी द्वारा जो रिपोर्ट बनाई जा रही है, उसमें इसका भी जिक्र होगा।
केवल इसी का नहीं, बल्कि इसमें दूसरी सुविधाओं का भी जिक्र होगा, जिनसे एचआरटीसी को नुकसान हो रहा है। लगातार हो रहे इस नुकसान की भरपाई एचआरटीसी नहीं कर पा रहा है और सरकार से इसकी एवज में जो ग्रांट इन ऐड मांगी जाती है, वह पूरी तरह से नहीं मिल पा रही है। क्योंकि सरकार की खुद की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। एचआरटीसी इस समय महिलाओं को 50 फीसदी कम दरों पर यात्रा की सुविधा दे रही है, तो वहीं कई श्रेणियों को भी फ्री यात्रा दी जा रही है। इसमें पुलिस कर्मचारियों को मासिक 250 रुपए की कटौती पर यात्रा सुविधा मिलती है, जिनका टिकट नहीं कटता। वहीं मान्यता प्राप्त मीडिया कर्मी भी प्रदेश में मुफ्त बस यात्रा में शामिल हैं। इनके अलावा दिव्यांगों को सुविधा दी जा रही है, वहीं कुछेक और श्रेणियां भी हैं, जिनको सुविधा मिल रही है।
एचआरटीसी 20 जुलाई तक अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप देगी। इस रिपोर्ट में इन सभी कारणों का उल्लेख होगा और बताया जाएगा कि इन सेवाओं के बदलने में निगम को कितना घाटा हो रहा है। महिलाओं को 50 फीसदी की छूट से सालाना 150 करोड़ से 170 करोड़ तक का नुकसान हो रहा है, वहीं अन्य सेवाओं से भी इतना ही नुकसान है। सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर कोई बड़े निर्णय परिवहन क्षेत्र में भी ले सकती है, क्योंकि उसके सामने एचआरटीसी को घाटे से उबारने की बड़ी चुनौती है।
पिछले दिनों उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्रिहोत्री ने निगम की बैठक ली थी, जिसमें घाटे से उबारने को लेकर खासी गंभीरता दिखाई। उन्होंने ही अधिकारियों की कमेटी बनाकर रिपोर्ट देने को कहा है, जिस पर मुख्यमंत्री के सामने प्रेजेंटेशन दी जाएगी। बताया जाता है कि एचआरटीसी का कुल घाटा 240 करोड़ रुपए का है।
एचआरटीसी की यात्रा में सुविधाओं में कटौती करके प्रदेश सरकार का भी पैसा बचेगा, क्योंकि उसे हर महीने जो ग्रांट इन ऐड देनी पड़ती है, वह बचेगी, फिर हिमाचल पथ परिवहन निगम को खुद ही अपना काम चलाना होगा। इससे काफी ज्यादा पैसा निगम का भी बचेगा, जिसकी वित्तीय हालत खराब है।