महिला आयोग की पहल पर बंदीगृहों में भी सजेगा प्रेम और विश्वास का पर्व

लखनऊ, महिलाओं के अधिकारों एवं उनके सम्मान की भावना को सशक्त बनाने के उद्देश्य से उत्तर प्रदेश राज्य महिला आयोग ने एक अभूतपूर्व और संवेदनशील पहल की है। आयोग ने निर्णय लिया गया है कि प्रदेश के विभिन्न जिलों में स्थित महिला बंदीगृहों में आवासित महिलायें शुक्रवार को करवा चौथ का पर्व अपने पतियों की उपस्थिति में पारम्परिक रूप से मनायेंगी।

यह निर्णय उ.प्र. राज्य महिला आयोग (संशोधन) अधिनियम 2013 की धारा 9 के अंतर्गत आयोग के निर्धारित कार्यों के क्रम में लिया गया है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि महिला बंदियों को भी अपने भावनात्मक और पारिवारिक अधिकारों से वंचित न रहना पड़े।
आयोग की अध्यक्ष डॉ बबीता सिंह चौहान ने बताया कि करवा चौथ केवल एक व्रत नहीं बल्कि प्रेम, निष्ठा और विश्वास का प्रतीक पर्व है।

महिला आयोग का यह प्रयास बंदीगृहों की दीवारों के भीतर भी स्नेह, सम्मान और आत्मिक जुड़ाव की भावना को पुनर्जीवित करेगा। उन्होंने कहा कि महिलाओं के अधिकार केवल कानूनी नहीं, बल्कि भावनात्मक और सामाजिक भी हैंकृऔर आयोग इन सभी पहलुओं की समान रूप से संरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है।

डॉ चौहान ने सभी जिलाधिकारियों को पत्र जारी कर अनुरोध किया है कि अपने-अपने जनपदों में महिला बंदीगृहों की पात्र महिलाओं के पतियों को तथा बंदीगृह में निरूद्ध पुरुष बंदियों की पत्नियों को कारागार में आमंत्रित कर करवा चौथ का पर्व पारंपरिक विधि-विधान के साथ मनाए जाने के लिये आवश्यक निर्देश जारी करें।

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