लखनऊ, पूर्वांचल समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में रूक रूक कर हो रही बारिश से गर्मी से मामूली राहत मिली है मगर उमस और जलभराव से दुश्वारियां बढ़ी हैं। उधर, सरकार ने बाढ़ के खतरे को भांपते हुये एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिये हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार का बाढ़ प्रबंधन और जनजीवन की सुरक्षा के मद्देनजर अधिकारियों को दिशा निर्देश दिये हैं।
प्रदेश में बाढ़ के लिहाज से 24 जिले अति संवेदनशील श्रेणी में हैं। इसमें महाराजगंज, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, गोरखपुर, बस्ती, बहराइच, बिजनौर, सिद्धार्थनगर,गाजीपुर,गोण्डा,बलिया, देवरिया, सीतापुर, बलरामपुर, अयोध्या, मऊ, फर्रुखाबाद, श्रावस्ती, बदायूं, अम्बेडकर नगर, आजमगढ़, संतकबीर नगर, पीलीभीत और बाराबंकी शामिल हैं जबकि सहारनपुर, शामली, अलीगढ़, बरेली, हमीरपुर, गौतमबुद्ध नगर, रामपुर, प्रयागराज, बुलन्दशहर, मुरादाबाद, हरदोई, वाराणसी, उन्नाव, लखनऊ, शाहजहांपुर और कासगंज संवेदनशील प्रकृति के हैं।]
सीएम योगी ने कहा कि अति संवेदनशील और संवेदनशील क्षेत्रों में बाढ़ की आपात स्थिति से निपटने के लिये पर्याप्त रिजर्व स्टॉक का एकत्रीकरण कर लिया जाए। इन स्थलों पर पर्याप्त प्रकाश की व्यवस्था एवं आवश्यक उपकरणों का भी प्रबन्ध होना चाहिए। सभी 875 बाढ़ सुरक्षा समितियाँ एक्टिव मोड में रहें। अति संवेदनशील तथा संवेदनशील तटबंधों का जिलाधिकारी/पुलिस कप्तान स्वयं निरीक्षण कर लें। शेष तटबंधों का उपजिलाधिकारी/डिप्टी एसपी स्तर के अधिकारी द्वारा तटबंधों का निरीक्षण करा लिया जाए।
उन्होने कहा कि सिंचाई एवं जल संसाधन, गृह, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सिंचाई एवं जल संसाधन, खाद्य एवं रसद, राजस्व एवं राहत कृषि, राज्य आपदा प्रबन्धन, रिमोट सेन्सिंग प्राधिकरण के बीच बेहतर तालमेल हो। मौसम विभाग, केन्द्रीय जल आयोग, केन्द्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण से संपर्क बनाए रखें। यहां से प्राप्त अनुमान रिपोर्ट समय से फील्ड में तैनात अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाए। केन्द्रीय एजेंसियों की मदद से आकाशीय बिजली के सटीक पूर्वानुमान की बेहतर प्रणाली के विकास के लिए प्रयास किया जाना चाहिए।