नई दिल्ली, मानसून सत्र समापन की तरफ है, मात्र दो दिन शेष हैं। सरकार के लिए यह सत्र काफी निराशाजनक रहा है। सत्ता पक्ष राज्यसभा में बहुमत नहीं होने के चलते लम्बित बिलों को सदन के पटल से पारित नहीं करा सका है। लंबित बिलों में सूचना प्रदाता संरक्षण अधिनियम , कंपनी लॉ बिल, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट बिल, बैंकिंग रेगुलेशन बिल, मोटर व्हीकल एक्ट, इन सभी बिलों समेत लगभग एक दर्जन बिल राज्यसभा में पास होने की कतार में हैं।
मानसून सत्र में इनके पारित होने की उम्मीद न के बराबर है। वहीं, हाल ही में उच्च सदन के लिए सम्पन्न नौ सीटों के चुनाव के बाद भी सदन में कोई विशेष फर्क नहीं आया है। एक बात अवश्य हुई है कि भाजपा वर्तमान में उच्च सदन का सबसे बड़ा दल बन गया है जिसके पास राज्यसभा में फिलहाल 58 सदस्य हैं। वहीं अमित शाह के शपथ के बाद यह आंकड़ा 59 हो जाएगा।
एनडीए का कुल आंकड़ा जदयू को मिलाकर उच्च सदन में 91 है। जबकि कांग्रेस वर्तमान में 57 के आंकड़े पर है। राज्यसभा में केंद्र सरकार अगर अन्नाद्रमुक, बीजद, तेलंगाना राष्ट्र समिति, वाईएसआर कांग्रेस और भारतीय राष्ट्रीय लोकदल जैसे क्षेत्रीय दलों का समर्थन हासिल कर ले, जिनकी कुल संख्या 26 है, जो अक्सर सरकार का समर्थन भी करते हैं। साथ ही, आठ में से चार मनोनीत सदस्यों का समर्थन भी सरकार को हासिल है। इस तरह सत्तापक्ष की संख्या 121 हो जाती है, जो बहुमत के आंकड़े 123 से महज दो ही कम रह जाती है।