नई दिल्ली, यूपी विधान सभा चुनाव मे, त्रिशंकु सरकार की आशंका के कारण मायावती के आने की संभावना प्रबल हो रही है. इसलिये अखिलेश राज में बेहाल रहे पार्कों और स्मारकों के दिन फिरने लगे हैं।
अखिलेश राज में मायावती के स्मारकों की सुध लेने वाला कोई नहीं था। मायावती के शासन में बने स्मारक 2012 के बाद सुनसान दिखने शुरू हो गये थे। कहीं दीवारें टूट रही थीं, तो कहीं गेट। पार्क में 200 गेट लगाए गए थे जो टूट पड़े हुए थे। अब इन टूटे हुए गेट की मरम्मत की जा रही है। 50 प्रतिशत दरवाजों को सही किया जा चुका है। बाकी का काम भी चल रहा है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि ये एक रुटिन काम है बजट जारी होने में देरी होने के चलते इस काम में देरी हुई। सूत्रों के अनुसार, अगर मायावती वापस शासन में आईं तो पार्कों की बदहाली के लिए अधिकारियों पर गाज गिरनी तय है।
लखनऊ में अधिकारियों ने मायावती राज के दौरान पार्कों में लगाई गई मूर्तियां और स्मारकों को फिर से चमकाने का काम शुरू कर दिया है। इन पार्कों को चमकाने के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं। काम को तेजी के साथ निपटाने की कोशिश है। अधिकारियों का सख्त आदेश है कि 11 मार्च यानि नतीजों के दिन से पहले तक सारा काम खत्म कर लेना है। पार्कों की मरम्मत के लिए 1 करोड़ रुपये का प्लंबरिंग का सामान लाया जा चुका है। गेट और प्लंबरिंग का काम स्मारक समिति की ओर से किया जा रहा है।
अधिकारियों का कहना है कि ये रूटीन का कार्य है। बजट जारी करने में देरी हुई थी, जिसके चलते काम देर में शुरू हुआ है। अधिकारी इसे भले ही रूटीन काम करार दें, लेकिन जिन पार्कों मे पिछले पांच साल में कोई अधिकारी झांकने तक नहीं आया, वहां अधिकारियों की चहलकदमी ये साफ दिखाती है कि अधिकारी कोई चांस लेने के मूड में नहीं हैं। चार साल से अधिक समय से नज़रअंदाज़ होने के बाद अब एक बार फिर अधिकारियों को इसकी चिंता सताने लगी है।
सूत्रों के अनुसार,यूपी के अफसरों को आशंका है कि अबकी बार स्पष्ट बहुमत किसी को नही मिलेगा। एेसी स्थिति मे बीजेपी, बीएसपी गठबंधन की सरकार के चलते मायावती के आने की संभावना बढ़ रही है। वैसे भी यूपी मे एकबार सपा और एकबार बसपा का दौर दशकों से जारी है। सपा की पांच साल सरकार रह चुकी, अब बारी मायावती की है।