बसपा के राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने कहा है कि 2007 में जब ब्राह्मणों के सहयोग से बसपा की सरकार बनी तो मुख्यमंत्री मायावती ने ब्राह्मण अधिकारियों को ही पहला चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी बनाया। 15 से ज्यादा कैबिनेट और 25 ब्राह्मणों को राज्यमंत्री का दर्जा दिया। दूसरी पार्टिया उन्हें सलाहकार बनाकर किनारे कर रही हैं। उन्होने ने कहा कि समाजवादी पार्टी और भारतीय जनता पार्टी दोनों ब्राह्मण समाज की दुश्मन हैं। बसपा के राष्ट्रीय महासचिव खजनी विधान सभा क्षेत्र स्थित बढ़यापार इंटरमीडिएट कालेज मैदान पर बसपा के सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय भाई-चारा कार्यकर्ता सम्मेलन को सम्बोधित कर रहे थे।
बसपा ने रविवार को गोरखपुर से ब्राह्मण भाई चारा रैली की शुरूआत की। सम्मेलन में जुटी भीड़ को संबोधित करते हुए सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि बसपा के भाईचारा सम्मेलनों से विपक्षियों की नींद उड़ गई है। बसपा को रोकने के लिए भाजपा, कांग्रेस और सपा मिलकर रणनीति बना रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 14 फीसदी ब्राह्मण और 20 फीसदी दलित दोनों साथ हैं। यूपी में इस बार बहुजन समाज पार्टी की ही सरकार बनेगी।
भाजपा पर हमला करते हुये सतीश मिश्रा ने कहा कि बीजेपी को न सिर्फ ब्राह्मण के नाम से ही चिढ़ है बल्कि ये पार्टी ब्राह्मण विरोधी चरित्र की हो चुकी है.ये उद्योगपतियों की सरकार है और ये ही लोग सरकार को चला रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी उन्हीं के कहने पर काम कर रही है।
समाजवादी पार्टी को ब्राह्मण विरोधी बताते हए सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा कि समाजवादी पार्टी ने चुन-चुनकर ब्राह्मणों को पार्टी से निकाला है, खासकर मंत्रियों को वो चाहे मनोज पांडे रहे हों या ओझा जी रहे हों। गायत्री प्रजापति को तो सपा सरकार वापस ले रही है, लेकिन ब्राह्मण मंत्री जिनसे समाजवादी पार्टी ने पद छीना उन्हे वापस लेने को तैयार नहीं है।
सतीश चंद्र मिश्र ने ऐलान किया कि ऐसे और सम्मेलन ब्राह्मण बहुल क्षेत्रों में होगें और 14 प्रतिशत ब्राह्मण अगर बहनजी के साथ आ जाएं तो दूसरे दलों को वोट के लाले पड़ जाऐंगे और इस बार पूर्ण बहुमत से नहीं बल्कि इतना सीट निकलेगा की लोग गिनते-गिनते थक जाएंगे। बसपा महासचिव ने कहा कि वर्ष 2007 की तुलना में उनकी पार्टी को वर्ष 2012 के चुनाव में भी अधिक वोट मिले थे लेकिन अन्य पार्टियों के वोट काफी कम हो गए। इसी वजह से हमारी सरकार नहीं बन पाई। इस बार फिर पूरे दमखम से बसपा की सरकार बनने जा रही है। उन्होंने नौ तारीख को मान्यवर कांशीराम की पुण्यतिथि पर लखनऊ आकर बहन मायावती के उद्दबोधन को सुनने का आह्वान किया।
भाषण के दौरान बिगड़ी सतीश चंद्र मिश्र की तबीयत बिगड़ गई। एक-दो बार पानी पीकर उन्होंने खुद को संभालने की कोशिश की, पर बीच में ही चक्कर आने के चलते उन्हें भाषण रोकना पड़ा। मंच पर मौजूद नेताओं ने उन्हें संभाला और कुर्सी पर बैठाया। पांच मिनट आराम करने के बाद उन्होंने दोबारा कुर्सी पर बैठकर ही कार्यकर्ताओं को संबोधित किया। वायरल फीवर होने के बावजूद सतीश चंद्र मिश्र सम्मेलन में पहुंचे थे।