2008 के मालेगांव विस्फोट मामले में एक बड़ा मोड़ आया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आज साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ सभी आरोप वापस ले लिये हैं। प्रज्ञा ठाकुर को इस मामले में एक प्रमुख आरोपी माना जाता रहा है। मुंबई की एक विशेष अदालत के समक्ष दायर एक पूरक आरोप पत्र में ऐसा करने के लिए जांच एजेंसी ने साध्वी ठाकुर और पांच अन्य के खिलाफ साक्ष्य की कमी बताई है। जेल में सात वर्ष बिताने के बाद प्रज्ञा ठाकुर को अब जेल से रिहा किया जा सकता है।
इस बीच राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दस अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है। जांच एजेंसी ने सख्त महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम-मकोका के तहत सभी आरोपियों पर मामले भी वापस ले लिये हैं। 29 सितंबर 2008 को एक मोटर साइकिल में हुए दो बम विस्फोटों में सात लोग मारे गये थे।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि मालेगांव विस्फोट के आरोपियों को इसलिए रिहा किया जा रहा है क्योंकि उनका संबंध भारतीय जनता पार्टी से है। पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने आज नई दिल्ली में कहा कि आंतकी गतिविधियों में शामिल लोगों को केंद्र सरकार बचा रही है।
भारतीय जनता पार्टी ने मालेगांव विस्फोट मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी-एन आई ए के उस निर्णय का स्वागत किया है। पार्टी प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी ने कहा कि प्रज्ञा ठाकुर को इस मामले में फंसाया गया था और उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। लेखी ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह की एन आई ए के फैसले पर सरकार की आलोचना को खारिज कर दिया। इस बीच केन्द्रीय गृहराज्यमंत्री किरेन रिजेजू ने कहा है कि जांच एजेंसियों पर सरकार का कोई दबाव नहीं है।