मिलकर विमान और वाहन बनाएंगे भारत-रूस, बनेगा संयुक्त उपक्रम

नई दिल्ली, सेंट पीटर्सबर्ग ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रूस यात्रा के दौरान दोनों देशों ने आपसी व्यापारिक, आर्थिक संबंधों को विस्तार देने की इच्छा प्रकट करते हुए विमान और वाहनों के विनिर्माण के लिए कुछ संयुक्त उपक्रम गठित करने पर सहमति जताई है। मोदी के साथ गुरुवार को यहां शिखर बैठक के बाद राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा कि रूस और भारत के बीच आर्थिक सहयोग पुनः वृद्धि के रास्ते पर लौट रहा है।

पुतिन ने कहा, इस सकारात्मक रुझान को मजबूत करना दोनों देशों के हक में है। हमारी बातचीत हमेशा गर्मजोशी के साथ दोस्ताना माहौल में होती है और यह हमेशा विस्तृत और फलदायक होती है। इस बार भी यह कोई नयी बात नहीं है। पुतिन ने कहा कि सेंट पीटर्सबर्ग घोषणा-पत्र में जिन समझौतों पर सहमति जताई गई है उसमें राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में द्विपक्षीय संबंधों को अधिक व्यापक बनाने के लिए उठाए जाने वाले कदमों की रूपरेखा प्रस्तुत की गयी है।

उन्होंने कहा, व्यापार में वृद्धि, व्यापार के स्वरूप को सुधारना और औद्योगिक सहयोग का विस्तार करना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में हमारा द्विपक्षीय व्यापार कम हो रहा था लेकिन इस साल इसमें सुधार आया है। वर्ष 2017 की पहली तिमाही में यह 29 प्रतिशत बढ़ा है। विस्तृत जानकारी दिए बिना उन्होंने कहा, आज की तारीख में हमने 19 परियोजनाओं पर सहमति जताई है। इसमें नयी तकनीक, दवा, कृषि, विमान, ऑटोमोबाइल विनिर्माण, हीरा उद्योग और परिवहन ढांचे के लिए संयुक्त उपक्रम गठित करने पर सहमति शामिल है।

भारत-रूस शिखर बैठक के बाद मोदी और पुतिन की उपस्थिति में दोनों देशों के बीच में बौद्धिक संपदा अधिकार समझौते, कुडनकुलम परमाणु संयंत्र में दो संयंत्रों के निर्माण वृहद योजना पर समझौता, 2017-19 के लिए दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान का द्विपक्षीय समझौता, नागपुर-सिंकदराबाद के बीच एक उच्च गति की संपर्क लाइन की व्यवहार्यता पर अध्ययन और संयुक्त स्टॉक कंपनी एएलआरओएसए और भारत की रत्न एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद के बीच सहयोग के एक समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।

इसके अलावा रूस में डिजाइन किए गए परमाणु बिजली संयंत्रों को भारत में नए जगहों पर स्थापित करने, द्विपक्षीय लीजिंग प्लेटफार्म, द्विपक्षीय निवेश गतिविधियों का विकास और रेल परिवहन वाहनों के विकास के संबंध में भी दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए। रूस का भारत में कुल चार अरब डॉलर का निवेश है जबकि भारतीयों ने रूस में आठ अरब डॉलर निवेश किए हैं। पुतिन ने कहा कि यह सभी तथ्य बताते हैं कि रूस-भारत आर्थिक सहयोग वृद्धि की दिशा में लौट रहा है।

पुतिन ने कहा कि यह सहयोग रूस की सेना के नवीनतम उपकरणों की भारत को सीधी आपूर्ति तक ही सीमित नहीं रहेंगे। बल्कि रूस के उच्च तकनीक वाले सैन्य उत्पादों की असेंबली इकाई भारत में स्थापित की गयी है जिसमें रूस भागीदार है। आधुनिक हथियार प्रणाली के संयुक्त विकास और विनिर्माण के लिए हमने प्रधानमंत्री  के साथ सहमति जताई है। शिखर वार्ता के तुरंत बाद हुए भारत-रूस सीईओ फोरम की बैठक में दोनों देशों के कंपनी जगत के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा कि पिछले सात दशक में पहले सोवियत संघ अैर बाद में रूस ने भारत में इस्पात कारखानों, बिजली संयंत्र, रसायन संयंत्र, गैस पाइपलाइनों, कृषि कारोबारी सुविधाओं और परिवहन ढांचे में योगदान किया।

इन सम्पत्तियों पर रूस में हमें गर्व है कि हमने मिल मिलकर इन्हें स्थापित किया। पुतिन ने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि आपस में वस्तुओं की खरीद-फरोख्त से भी आगे बढ़कर अधिक उन्नत सहयोग किया जाए। मैं अपने सहयोगियों का आह्वान करता हूं कि वे रूस में आकर स्थानीय स्तर पर उत्पादन करें। हम भारत में परियोजनाओं के बारे में प्रधानमंत्री मोदी के नजरिए को जानते हैं जहां हम एक दूसरे की मदद कर सकते हैं तथा आधुनिक प्रौद्योगिकी का आदान प्रदान कर सकते हैं।

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