गोरखपर, प्रख्यात साहित्यकार एवं कथाकर मुंशी प्रेमचन्द की 141वीं जयंती पर आज यहां विभिन्न संस्थानों ने कार्यक्रम आयोजित कर उन्हें याद करते हुए भवभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
मुख्यरूप से भारतीय जन नाटय संघ ..इप्टा.. , प्रेम चन्द सहित्य संस्थन और अन्य संगठनों की ओर से उनकी मूर्ति पर माल्यार्पण करके उन्हें भवभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गयी।
इस अवसर पर प्रेम चन्द साहित्य संस्थान की ओर से एक संगोष्ठी का आयोजन भी किया गया ,जिसमें वक्ताओं ने श्री प्रेम चन्द की रचनाओं की प्रासांगिकता को कालजेयी बताते हुए उनकी सामाजिक अन्र्तविरोधों की परिस्थितियों पर चिंता व्यक्त की।
इप्टा के रंगकर्मियों द्वारा प्रेम चन्द की कहानी ..टुराशा.. का पाठ भी किया। इसके अलवा प्रेम चन्द की जयंती पर ..प्रेमचन्द और हमारा समय..विषय पर संगोष्ठी के अलवा प्रेमंचद की विरासत विषय पर ऑनलाइन व्याख्यान का आयोजन किया गया।
वक्ताओं ने प्रेमचन्द पार्क में स्थित उनके जर्जर भवन को पुर्ननिर्माण की आवश्यकता पर बल दिया। मुख्य रूप से दो दशकों से भी अधिक समय से मुंशी प्रेमचन्द की जयंती पर इप्टा उनकी कहानियों का नाटय स्पान्तरण का मंचन करता आ हा है। इसी क्रम में आज प्रेमचन्द की कहानी ..रंगीले बाबू..की नाटय प्रस्तुत की गयी। इस अवसर पर नाटय मंचन के दौरान कयी प्रमुख साहित्यकार एवं रंगमर्कीमौजूद थे।
प्रेमचन्द जी जहां निवास करते थे वह स्थान अब उनके नाम से पार्क बन गया है। यहां पर उनकी पुण्य तिथि और जयंती पर साहित्यकारों द्वारा विभिन्न तरह के आयोजन करके उन्हें याद किया जाता है।