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मुक्केबाज लवलीना को कांस्य, भारत का तीसरा पदक

टोक्यो, भारतीय मुक्केबाजी लवलीना बोरगोहेन का यहां बुधवार को टॉप सीड और विश्व नंबर एक मुक्केबाज तुर्की की बुसनेज सुरमेनेली से हारने के बाद महिला वेल्टरवेट (64-69 किग्रा) के फाइनल में जाने का सपना टूट गया। तीसरे नंबर पर रहने से उन्हें कांस्य पदक से ही संतोष करना पड़ा।

मुकाबले में बुसनेज ने शुरुआत से ही लवलीना पर दबाव बनाया, लवलीना ने हालांकि कुछ पंच लगाए, लेकिन बुसनेज तीनों राउंड में उन पर हावी रहीं और सर्वसम्मत फैसले से लवलीना को 5-0 से हरा दिया। बुसनेज अब शनिवार को स्वर्ण पदक मैच में चीन की गु होंग से भिड़ेंगी।
उल्लेखनीय है कि लवलीना टोक्यो ओलंपिक 2020 में भारत के लिए पदक जीतने वाली तीसरी महिला एथलीट बनी हैं। उनसे पहले मीराबाई चानू ने भारोत्तोलन में रजत और पीवी सिंधू ने बैडमिंटन में कांस्य पदक जीता है।

23 वर्षीय लवलीना ने राउंड 16 में जर्मनी की नादिन एपेटज को और क्वार्टरफाइनल में चीनी ताइपे की चेन नियन चिन को हराकर सेमीफाइनल में पहुंचने के साथ ही अपने लिए कांस्य पदक सुनिश्चित कर लिया था। ओलम्पिक मुक्केबाजी में सेमीफाइनल में हारने वाली दोनों मुक्केबाजों को कांस्य पदक मिलता है।

इस कांस्य पदक के साथ लवलीना ओलम्पिक मुक्केबाजी में विजेंदर सिंह (2008 बीजिंग में कांस्य ) और एमसी मैरीकॉम (2012 लंदन में कांस्य पदक) के बाद ओलम्पिक पदक जीतने वाली तीसरी भारतीय मुक्केबाज बन गयी हैं। उनके इस पदक के साथ भारत की इन ओलंपिक्स में पदक संख्या तीन पहुंच गयी है। भारोत्तोलक मीराबाई चानू ने 24 जुलाई को खेलों के पहले दिन रजत पदक और बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधू ने एक अगस्त को महिला एकल में कांस्य पदक जीता था।

बोर्गोहैन और सुरमेनेली दोनों का पहली बार मुकाबला हुआ। सुरमेनेली ने यह सुनिश्चित किया कि भारतीय मुक्केबाज अपनी लम्बाई का फायदा नहीं उठा पाए। लवलीना पहला राउंड 0-5 से हार गयीं क्योंकि सभी छहों ने सर्वसम्मति से तुर्की मुक्केबाज के पक्ष में अपना फैसला दिया।

भारतीय मुक्केबाज ने दूसरे राउंड में वापसी करने की कोशिश की लेकिन सुरमेनेली ने लवलीना के खुले गार्ड्स का पूरा फायदा उठाते हुए भारतीय मुक्केबाज पर कुछ दमदार प्रहार किये और इस राउंड में भी अपना प्रभुत्व बनाये रखा। अपने साहसिक प्रयास के बावजूद लवलीना को तीसरे और अंतिम राउंड में भी सुरमेनेली के अनवरत प्रहारों का सामना करना पड़ा। लवलीना की हार के साथ भारत का टोक्यो ओलम्पिक मुक्केबाजी में अभियान एक कांस्य पदक के साथ समाप्त हो गया।