नई दिल्ली, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दो सरकारी बंगलों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास दो बंगले रहें तो इसमें हर्ज क्या है? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुख्यमंत्री के पास बहुत काम होते हैं, बहुत सारे लोग मिलने आते हैं इसके लिए अगर दफ्तर के काम के लिए दूसरा बंगला लिया गया है तो क्या गलत है? इस तरह तो जजों के पास भी दो हिस्से होते हैं एक सचिवालय और एक आवास होता है.
लोक प्रहरी संगठन ने सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका की थी कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को पांच कालीदास मार्ग के बंगले के अलावा चार विक्रमादित्य मार्ग पर सरकारी बंगला भी दिया गया है. नवंबर में लखनऊ हाईकोर्ट ने अखिलेश यादव को बड़ी राहत देते हुए उन्हें दूसरा बंगला आवंटित किए जाने को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी थी. हाईकोर्ट ने कहा था कि मुख्यमंत्री द्वारा पहले से आवंटित एक बंगले को कार्यालय के तौर पर भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जहां जाहिर तौर पर बहुत से लोग मिलने आते होंगे. ऐसे में परिवार की निजता का हनन होता होगा. लिहाजा दूसरे बंगले का आवंटन ऐसा विषय नहीं जिसमें कोर्ट हस्तक्षेप करे.