मुख्यमंत्री योगी ने ‘गोमती नदी पुनर्जीवन मिशन’ की घोषणा की

लखनऊ, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को ‘गोमती नदी पुनर्जीवन मिशन’ की औपचारिक घोषणा की। उन्होंने कहा कि गोमती केवल एक जलधारा नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की संस्कृति, आस्था और जीवन की प्रतीक है। पीलीभीत से गाजीपुर तक प्रवाहित गोमती को स्वच्छ, अविरल और निर्मल बनाने के लिए यह ऐतिहासिक मिशन शुरू किया जा रहा है।
आज मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर आयोजित गोमती टास्क फोर्स की बैठक में मिशन की विस्तृत कार्य योजना पर चर्चा की। बैठक में टेरिटोरियल आर्मी के वरिष्ठ अधिकारी, पर्यावरण विशेषज्ञ और शासन के अधिकारी शामिल हुए। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट निर्देश दिया कि गोमती में एक भी बूंद कचरा नहीं गिरना चाहिए और इसके लिए अल्पकालिक एवं दीर्घकालिक रणनीति तैयार की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गोमती तटों की स्वच्छता और सुरक्षा के लिए नदी किनारे बसी अवैध बस्तियों और घुसपैठियों की पहचान कर विधि सम्मत कार्रवाई की जाए। उन्होंने कहा कि यह केवल प्रशासनिक परियोजना नहीं बल्कि समाज की भागीदारी से चलने वाला एक जन-आंदोलन होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मिशन का दायरा पीलीभीत से गाजीपुर तक गोमती नदी के संपूर्ण प्रवाह क्षेत्र को कवर करेगा जिससे गोमती अपने पूरे विस्तार में स्वच्छ, अविरल और निर्मल रूप पुनः प्राप्त कर सके।
मुख्यमंत्री ने मिशन के अंतर्गत नगरीय सीवेज का 95 प्रतिशत से अधिक अवरोधन, नदी प्रदूषण को न्यूनतम स्तर तक लाना और नदी तटीय पारिस्थितिकी का पुनरुद्धार का लक्ष्य निर्धारित किया। बैठक में यह जानकारी दी गई कि गोमती में गिरने वाले 39 प्रमुख नालों में से 13 अब भी बिना उपचारित हैं। वर्तमान में छह एसटीपी 605 एमएलडी की कुल क्षमता के साथ संचालित हैं। इन्हें पूर्ण रूप से प्रभावी बनाने हेतु नालों को एसटीपी तक मोड़ने, नए संयंत्र स्थापित करने और पुराने संयंत्रों के उन्नयन की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह मिशन केवल प्रदूषण नियंत्रण तक सीमित नहीं रहेगा बल्कि नदी के जैविक, सांस्कृतिक और सौंदर्यात्मक पुनर्जीवन का माध्यम बनेगा। कार्ययोजना के अंतर्गत लखनऊ में इकाना वेटलैंड और साजन झील जैसे नए वेटलैंड विकसित किए जाएंगे। नदी किनारे के अवैध अतिक्रमणों को हटाने, घाटों के सौंदर्यीकरण, और तटीय हरियाली बढ़ाने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर सख्ती से प्रतिबंध लागू किया जाएगा, क्योंकि सीवर सिस्टम को चोक करने और प्रदूषण बढ़ाने में इसकी बड़ी भूमिका है।
बैठक में बताया गया कि गोमती टास्क फोर्स द्वारा अब तक नदी तटों पर पैदल और नौका गश्त, एक हजार टन से अधिक जलकुंभी की सफाई, नालों का सर्वेक्षण कर प्रदूषण स्रोतों की पहचान, तथा 100 से अधिक जागरूकता कार्यक्रमों के माध्यम से 70000 से ज्यादा नागरिकों की सहभागिता सुनिश्चित की गई है। ‘नदी योग अभियान’ के अंतर्गत 21 अप्रैल से 21 जून 2025 तक पांच प्रमुख घाटों पर प्रतिदिन योग, घाट-सफाई और जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित हुए, जिनमें 50000 से अधिक नागरिकों ने भाग लिया और 300 टन से अधिक जलकुंभी हटाई गई।
गौरतलब है कि राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन के अंतर्गत इसी वर्ष जनवरी में गठित गोमती टास्क फोर्स में राज्य स्वच्छ गंगा मिशन के परियोजना निदेशक, सिंचाई विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, जल निगम, लखनऊ नगर निगम, लखनऊ विकास प्राधिकरण तथा अन्य संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ-साथ विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। इनमें बीबीएयू लखनऊ के प्रो. (डा.) वेंकटेश दत्ता और अतुल्य गंगा ट्रस्ट के सह-संस्थापक ले. कर्नल देवेंद्र चौधरी (सेवानिवृत्त) प्रमुख रूप से सम्मिलित हैं। यह टास्क फोर्स शासन और समाज के बीच एक सशक्त सेतु के रूप में कार्य कर रही है।