लखनऊ, मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कैबिनेट मंत्री आजम खान का फेक स्टिंग ऑपरेशन क्या बीजेपी के इशारे पर किया गया? यह प्रश्न अब लोगों के दिमाग मे उठने लगे हैं। विधानसभा में स्टिंग मामले पर सभी पार्टियों के नेता जहां एकमत दिखे वहीं, बीजेपी इससे अलग रही।आखिर क्या कारण है कि बीजेपी फेक स्टिंग चलाने वाले निजी चैनल के आरोपी जर्नलिस्टों को बचा रही है।
ये सच है कि एक नेता का पूरा जीवन अपनी इमेज बिल्डिंग में लगता है और ऐसे स्टिंग उसकी छवि एक सेकेंड में धूमिल कर देते हैं। सदन में बहस के दौरान बीएसपी नेता स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि जब पूरा सदन स्टिंग पर एकमत है तो बीजेपी का अलग रहना ये शक पैदा करता है कि क्या स्टिंग ऑपरेशन बीजेपी के इशारे पर किया गया? अगर नहीं तो बीजेपी दोषियों को बचाने में क्यों शामिल है?”
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2013 के मुजफफरनगर दंगे को लेकर कैबिनेट मंत्री आजम खान का एक स्टिंग जारी किया गया था।इसमें दिखाया गया कि आजम खान ने मुजफ्फरनगर में छेड़छाड़ के आरोपी पर कड़ी कार्यवाही न करने के पुलिस को दिशा निर्देश जारी किए, जिसके चलते दंगा भड़का।विधानसभा में फेक स्टिंग पर सेवन मेंबर कमेटी के हेड सपा विधायक सतीश कुमार निगम ने 350 पेज की रिपोर्ट सदन में पेश की। रिपोर्ट में कहा गया कि जिस तरह से इस खबर को चलाया गया उससे सांप्रदायिक माहौल खराब हुआ।कमिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, चैनल ने मांगे गए रॉ फुटेज नहीं दिए।जांच में ये भी पाया गया कि मुजफ्फरनगर दंगे को लेकर आजम खान के खिलाफ किया गया स्टिंग ऑपरेशन पूरी तरह से फर्जी था।विधानमंडल की सेवन मेंबर कमेटी ने इन सबके ऊपर एडिटर सहित कई लोगों के खिलाफ आईपीसी की अलग-अलग धाराओं में कार्रवाई की सिफारिश की गई है।
26 फरवरी को सदन में चैनल की मैनेजिंग एडिटर सुप्रिया प्रसाद, आउटपुट हेड मनीष कुमार, एसआईटी हेड दीपक शर्मा, इसी ग्रुप के इंग्लिश चैनल के मैनेजिंग एडिटर राहुल कंवर, एडिटर और एंकर पुण्य प्रसून बाजपेई, रिपोर्टर हरीश शर्मा, एंकर गौरव सावंत और पदम्बा जोशी को बुलाया गया।आरोपी जर्नलिस्टों की विधानसभा में पेशी नहीं हो पाई।
इन धाराओं पर चल सकता है मुकदमा-
आईपीसी 295ए- ऐसे काम जिससे किसी वर्ग या धर्म का अपमान हुआ हो या उनकी भावनाएं आहत हुई हों।
आईपीसी 463- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्र्स का इस्तेमाल।
आईपीसी 464- फर्जी दस्तावेज तैयार करना।
आईपीसी 465- फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले को 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों।
आईपीसी 469- किसी की छवि को क्षति पहुंचाने की दुर्भावना से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार कर उसका इस्तेमाल करना। इसमें दोषी होने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।
आईपीसी 471- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक फुटेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना।
सीआरपीसी 200, सीआरपीसी 202- अभियोजन के लिए परिवादी की उपस्थिति जरूरी है।
आईपीसी 463- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक रिकॉड्र्स का इस्तेमाल।
आईपीसी 464- फर्जी दस्तावेज तैयार करना।
आईपीसी 465- फर्जी दस्तावेज तैयार करने वाले को 2 साल तक की सजा या जुर्माना या दोनों।
आईपीसी 469- किसी की छवि को क्षति पहुंचाने की दुर्भावना से इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड तैयार कर उसका इस्तेमाल करना। इसमें दोषी होने पर तीन साल की सजा का प्रावधान है।
आईपीसी 471- फर्जी इलेक्ट्रॉनिक फुटेज को असली के रूप में इस्तेमाल करना।
सीआरपीसी 200, सीआरपीसी 202- अभियोजन के लिए परिवादी की उपस्थिति जरूरी है।
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मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान कैबिनेट मंत्री आजम खान का फेक स्टिंग चलाने वाले निजी चैनल के आरोपी जर्नलिस्टों की विधानसभा में पेशी नहीं हो पाई। इस पर आजम खान ने कहा कि मुजफ्फरनगर स्टिंग का ऑर्डर मेरा नहीं दरोगा का था, लेकिन मेरा नाम लिया गया। यह स्टिंग सदन के सम्मान का मामला है। अगर सदन का एक सदस्य भी इससे इत्तेफाक नहीं रखता है तो मैं अपने पद से इस्तीफा देता हूं।”आजम ने कहा कि बीजेपी ने जो अपना मत रखा और राष्ट्रवाद पर जो परिभाषा दी है वह असल परिभाषा से अलग है। बीजेपी पर राजनीतिक खुदगर्जियां इतनी हावी हो गई हैं कि राष्ट्रवाद की परिभाषा अलग हो गई। अगर एेसा नहीं है तो बीजेपी दोषियों को बचाने में क्यों शामिल है?