नई दिल्ली, समाजवादी पार्टी में चल रही खींचतान के बीच आज मुलायम सिंह यादव चुनाव आयोग से मिलने पहुंचे। मुलायम सिंह चुनाव आयोग के सामने पार्टी सिंबल को लेकर हलफनामा पेश किया। इससे पहले मुलायम सिंह यादव ने अमर सिंह और शिवपाल यादव के साथ मीटिंग कर इस मामले पर चर्चा की। गौर हो कि अखिलेश गुट पहले ही चुनाव आयोग में हलफनामा दाखिल कर चुका है, आज चुनाव आयोग के सामने जवाब दाखिल करने का आखिरी दिन है। इससे पहले के घटनाक्रम में सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव ने साफ कर दिया कि वे ही समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहेंगे, अखिलेश सीएम और शिवपाल सिंह यादव सपा के प्रदेश अध्यक्ष बने रहेंगे। इस मुलाकात के दौरान वे रामगोपाल यादव के अधिवेशन को असंवैधानिक करार देने का प्रस्ताव रखेंगे और साथ ही साइकिल पर अपना दावा ठोकेंगे।
रामगोपाल यादव ने सपा के दोनों खेमों के बीच किसी सुलह की संभावना से इनकार किया है और कहा कि चार-छह लोगों ने नेताजी को गुमराह किया कि उन्हें 200 विधायकों का समर्थन हासिल है, उनके रुख का अब पर्दाफाश हो गया है। इससे पहले लखनऊ में मुलायम ने सुलह के सवाल पर कहा कि जब विवाद ही नहीं तो समझौता कैसा। रविवार को लखनऊ से दिल्ली पहुंचे मुलायम सिंह और शिवपाल यादव के बीच दिनभर बैठकों का दौर चला। इस दौरान पार्टी सांसद अमर सिंह भी मौजूद रहे। दोपहर के वक्त घर के बाहर नारेबाजी कर रहे पार्टी नेताओं को मुलायम सिंह यादव ने अंदर बुलाया और समझाते हुए कहा कि अखिलेश मेरा ही लड़का है। अब क्या कर सकते हैं। वह जो कर रहा है, उसे करने दो। मार थोड़े ही देंगे।
अब सब कुछ उसके पास है। मेरे पास तो गिनती के विधायक हैं। जाओ चुनाव तैयारियों में जुट जाओ। इससे पहले कल लखनऊ में समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता मुलायम सिंह यादव ने जोर दिया कि वह अब भी पार्टी के अध्यक्ष हैं। इसके साथ ही उन्होंने अखिलेश यादव खेमे द्वारा आयोजित उस अधिवेशन की वैधता पर सवाल किए जिसमें उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पार्टी का नया अध्यक्ष घोषित किया गया था। पार्टी पर नियंत्रण को लेकर पिछले कुछ दिनों से जारी संघर्ष के बीच मुलायम ने यहां संवाददाताओं से कहा, मैं समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष हूं और अखिलेश यादव (सिर्फ) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री हैं। शिवपाल यादव अब भी सपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष हैं। उन्होंने पहले से तैयार एक बयान को पढ़ते हुए जोर दिया, रामगोपाल यादव को 30 दिसंबर 2016 को छह साल के लिए पार्टी से निकाल दिया गया था। इसलिए एक जनवरी 2017 को उनके द्वारा बुलाया गया राष्ट्रीय अधिवेशन अवैध था।
अखिलेश और उनके समर्थक पार्टी में पारिवारिक विवाद के लिए अमर सिंह पर दोषारोपण करते रहे हैं। अमर सिंह ने दावा किया कि अखिलेश के समर्थक विधायकों के हस्ताक्षरों का कोई मूल्य नहीं है क्योंकि चार जनवरी को आदर्श आचार संहिता लागू हो जाने के बाद वे वास्तव में विधायक नहीं रह गए हैं। उन्होंने कहा कि जिन प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए हैं, उनमें से अधिकतर की नियुक्ति एक जनवरी के बाद हुयी है। इस बीच रामगोपाल यादव ने सपा के दोनों खेमों के बीच किसी सुलह की संभावना से इंकार किया और कहा कि चार-छह लोगों ने नेताजी को गुमराह किया कि उन्हें 200 विधायकों का समर्थन हासिल है। उनके रूख का अब पर्दाफाश हो गया है। उन्होंने हालांकि कहा कि उस राष्ट्रीय अधिवेशन में मुलायम को पार्टी का संरक्षक नियुक्त किया गया जिसमें अखिलेश को सपा का नया अध्यक्ष बनाया गया था।
सपा में जारी विवाद में अखिलेश के साथ नजर आए रामगोपाल ने कहा कि पार्टी के दिल्ली कार्यालय में नेताजी का नेमप्लेट अब भी लगा हुआ है। इसके पहले दिन में, जब मुलायम लखनउ से दिल्ली पहुंचे, उनके कुछ समर्थकों ने अखिलेश के खिलाफ नारेबाजी की। उनके कुछ समर्थकों ने दावा किया कि बाद में मुलायम ने उनसे अपने निवास पर कहा कि हालांकि उनके पास संख्या नहीं है लेकिन अखिलेश उनके पुत्र हैं और समर्थकों को उनके खिलाफ नारेबाजी नहीं करनी चाहिए। अमर सिंह ने दावा किया कि रामगोपाल द्वारा बुलाया गया सम्मेलन फर्जी था क्योंकि सिर्फ पार्टी के निर्वाचित अध्यक्ष ही आपात स्थिति में सम्मेलन बुलाने के लिए अधिकृत हैं। क्या कोई इस बात पर विवाद कर सकता है कि मुलायम अब भी सपा के एकमात्र निर्वाचित अध्यक्ष हैं। अमर सिंह ने इस बात को खारिज कर दिया कि पार्टी में उनकी वजह से विवाद है। उन्होंने कहा, मैंने परिवार को एकजुट रखने के लिए इस्तीफे की पेशकश की। दिल्ली पहुंचने के बाद मुलायम ने अमर शिवपाल और कुछ वकीलों के साथ सलाह मशविरा किया। संवाददाता सम्मेलन में अमर सिंह और शिवपाल भी मौजूद थे।