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मुलायम सिंह की कभी हां, कभी ना के, क्या हैं सियासी मतलब ?

लखनऊ, समाजवादी पार्टी के संरक्षक मुलायम सिंह यादव की कभी हां, कभी ना अब उनके वफादार पुराने समाजवादियों के लिये भारी पड़ रही है। मुलायम सिंह के वफादार पुराने समाजवादियों की दिली इच्छा है कि अब नेताजी कभी हां, कभी ना के फेज से बाहर निकलें और कोई ठोस निर्णय लें क्योंकि उनसे बहुतों के भविष्य जुड़े हुये हैं।

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चुनाव पूर्व से ही लगातार अखिलेश  से नाराजगी दिखाते रहे नेताजी का अचानक पलट जाना पुराने समाजवादियों को अच्छा नही लग रहा है। कभी अखिलेश  से नाराजगी इस कदर कि अपने अनुज शिवपाल सिंह यादव से मुलायम सिंह नई पार्टी बनाने को कहतें हैं।और फिर उनका ही यह बयान कि शिवपाल सिंह यादव न तो भारतीय जनता पार्टी  में शामिल होंगे और न ही कोई दूसरा दल बनाएंगे, सबको चौंका जाता है।

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हाल ही मे, विधानसभा चुनाव के बाद अपने पैतृक आवास पहली बार पहुंचे सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और पार्टी नीतियों पर चर्चा की। उन्होने कहा कि समाजवादी पार्टी या परिवार में कोई अनबन नहीं है। सभी लोग मिलकर पार्टी की मजबूती के लिए काम करेंगे ।  शिवपाल सिंह की भाजपा नेताओं से मुलाक़ात पर सफाई भी दी, उनका कहना था कि जनता के काम से मिलने गए थे, और हम तो सभी से मिलते हैं। सदस्यता अभियान में शिवपाल के नहीं पहुंचने पर कहा यह कोई जरूरी नहीं है, मैं भी नहीं गया।  पार्टी की सदस्यता अभियान के तहत अभी वह पार्टी के सदस्य नहीं बने हैं, लेकिन बहुत जल्दी सदस्य बन जाएंगे ।

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नेताजी यहीं नहीं रूकते हैं, अखिलेश सरकार की तारीफ मे कोई कसर नही छोड़तें हैं। उन्होने अखिलेश सरकार की तारीफ करते हुये  कहा कि सपा सरकार ने सबसे अच्छे काम किये साढ़े पांच लाख लोगों को रोजगार दिया। पार्टी की हार पर उन्होंने कहा कि सरकार ने बहुत ही अच्छे काम किये थे। क्या नहीं किया इटावा वालों के लिए, यहाँ भी हरा दिया। साथ ही बतातें हैं कि वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू हो रही है। सभी को काम दिया जाएगा, अभी समय है ।

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मुलायम सिंह यादव का यह कहना  कि सपा 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुट गई है और सबसे पहले सदस्यता अभियान चलाकर अधिक से अधिक सदस्य बनाए जाएंगे। वह स्वयं भी सपा की फिर से सदस्यता लेंगे, नेताजी के भविष्य का रूख बता रहा है। उनका यह कहना कि उनके लिए पद का कोई मोल नहीं है। डा.लोहिया और जय प्रकाश नारायण का नाम लेते हुए उन्होंने कहा कि उनके पास कौन सा पद था, लेकिन फिर भी उन्होंने समाज और देश हित में बड़े बड़े काम किए, यह संकेत दे रहा है कि वह न तो नई पार्टी बनायेंगे और नाही  अखिलेश यादव से राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद लेंगे। लेकिन शिवपाल सिंह और एेसे ही कुछ अन्य पुराने समाजवादियों को साथ मे जोड़े रखने के लिये, अखिलेश यादव के खिलाफ बीच-बीच मे बयान देते रहेंगे।