दिल्ली पुलिस ने आरटीआई जवाब से कथित तौर पर जोड़तोड़ कर खबर प्रकाशित करने के आरोप में पत्रकार पुष्प शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने दावा किया था कि सरकार मुसलमानों से भेदभाव कर रही है और आयुष मंत्रालय में उनको योग प्रशिक्षक की नौकरी देने से इंकार किया गया।
अतिरिक्त डीसीपी (दक्षिण) नूपुर प्रसाद ने शनिवार (14 मई) को बताया, ‘कोटला मुबारकपुर थाने में दर्ज एक मामले में जालसाजी, फर्जीवाड़ा और धर्म, नस्ल के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच रंजिश को बढ़ावा देने, आदि के आरोपों मे शर्मा को गिरफ्तार किया गया है।’ मार्च में दिल्ली में रहने वाले पत्रकार की अंग्रेजी भाषा के पाक्षिक अखबार ‘मिल्ली गजट’ में रिपोर्ट ‘वी डोंट रिक्रूट मुसलिम्स: मोदी गवर्नमेंट्स आयुष मिनिस्ट्री’ प्रकाशित होने के कुछ दिनों के बाद उन पर मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने बताया कि प्राथमिकी दर्ज करने के बाद दक्षिण-पूर्व दिल्ली के दयानंद कॉलोनी में रहने वाले शर्मा से लगातार तीन दिन तक पूछताछ की गई थी लेकिन कल शाम उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया और शनिवार (14 मई) को शहर की एक अदालत में पेश किया गया।
‘मिल्ली गजट’ के मुख्य संपादक जफरूल इस्लाम खान ने कहा, ‘आयुष मंत्रालय ने पत्रकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई और प्रेस कौंसिल ऑफ इंडिया का स्वत: ही उठाया गया कदम प्रेस की आजादी का गला घोंटने की स्पष्ट कोशिश है।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘आयुष मंत्रालय ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने में तो तेजी दिखाई लेकिन न्यूज मैग्जीन से किसी भी तरह से संपर्क नहीं किया गया। इसके अलावा, पत्रकारों और मीडिया प्रकाशन का संरक्षण करने की बजाए लगता है कि पीसीआई सरकार का पक्ष ले रही है।
एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि स्टिंग करने की धमकी देकर सरकारी अधिकारियों से जबरन वसूली की कोशिश के आरोप में शर्मा को 2009 में गिरफ्तार किया गया था। इस तरह के आरोप भी हैं कि एक मौके पर शर्मा ने पुलिस अधिकारियों से भी वसूली की कोशिश की। मंत्रालय ने ‘गलत रिपोर्टिंग’ की निंदा की थी जिसके बारे में उसने दावा किया था कि यह समाज के विभिन्न तबके के बीच खाई पैदा करने और वैमन्सय बढ़ाने तथा भरोसा खत्म करने के मकसद से किया गया। शर्मा ने दावा किया था कि उन्होंने आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी, सिद्ध एवं हौम्योपैथी (आयुष) मंत्रालय में एक आरटीआई दायर कर उसके द्वारा पिछले साल विश्व योग दिवस के दौरान विदेशी कार्य के लिए मुस्लिम शिक्षकों और प्रशिक्षकों को नियुक्त करने के बारे में पूछा था जिसपर मंत्रालय ने जवाब दिया कि उन्होंने मुस्लिमों की भर्ती नहीं की।