बेलगावी (कर्नाटक), कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने शनिवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नोटबंदी पर अपनी जवाबदेही से भाग नहीं सकते, कांग्रेस उनसे जवाब लेकर रहेगी। यहां एक रैली को संबोधित करते हुए राहुल ने कहा, मोदीजी, आप अपनी जवाबदेही से नहीं भाग सकते। किसी न किसी दिन आपको जवाब देना ही होगा। कांग्रेस पार्टी आपको जवाब देने पर मजबूर कर देगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का असली इरादा गरीबों के पैसों को महीनों तक बैंकों में जब्त करके रखना और अपने चंद अमीर दोस्तों को फायदा पहुंचाना है।राहुल ने कहा, इनकी मंशा गरीबों से खींचने और अमीरों को सींचने की है। उन्होंने कहा कि मोदी ने गरीब किसानों का नहीं, बड़ी-बड़ी कंपनियां चलाने वाले उद्योगपतियों का कर्ज माफ किया है, इसी से उनके इरादे का पता चलता है।राहुल ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा था कि 50 दिन के अंदर हालात सामान्य हो जाएंगे, मगर उनका दावा झूठा साबित हो रहा है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने कहा, 50 दिनों में कुछ भी सुधार नहीं होगा। मैं यह आपको लिखकर दे सकता हूं। आपके पैसे बैंक के तहखानों में 4-5 महीने तक बंद रहेंगे। आप कष्ट झेलते रहेंगे..ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था नष्ट हो जाएगी। उन्होंने कहा कि सच तो यह है कि सरकार ने जानबूझकर पर्याप्त मात्रा में नोट नहीं छापे, ताकि लोग ज्यादा पैसे निकाल न सकें। अगर आम आदमी अपने पैसे निकाल लेता, तो उनके असल इरादे व मकसद बेकार हो जाते। राहुल ने कहा कि यह गौर करने वाली बात है कि नोटबंदी के उद्देश्यों को लेकर मोदी लगातार अपने बयान बदल रहे हैं। पहले तो उन्होंने कहा कि इससे कालेधन से लड़ने में मदद मिलेगी, लेकिन सरकार के ही आदमी ने कहा कि लगभग सारे पैसे बैंकों में लौट चुके हैं। तब जो कालाधन निकलवाना था, वह कहां गया? उन्होंने कहा कि तर्क दिया गया कि इससे आतंकवाद से निपटने में मदद मिलेगी, लेकिन एक मारे गए आतंकवादी के पास से 2,000 रुपये के नए नोट बरामद हुए। राहुल ने कहा, जाली नोटों से निपटने का उद्देश्य भी फर्जी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था में मात्र दो फीसदी ही जाली नोट हैं। उन्होंने कहा कि नोटबंदी के बारे में जब सभी तर्क बेमानी साबित होने लगे, तब इससे लोगों का ध्यान भटकाने के लिए उन्हें कैशलेस लेनदेन करने के तरीकों में उलझाया जा रहा है।
कांग्रेस उपाध्यक्ष ने प्रधानमंत्री पर संसद के पूरे शीतकालीन सत्र से भागने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्ष नोटबंदी के मुद्दे पर पूरी चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री की मौजूदगी की मांग करता रहा, लेकिन चर्चा नहीं होने दी गई। कहा गया दूसरे मुद्दों पर चर्चा करो, नोटबंदी पर नहीं। पहली बार सत्तापक्ष ने नारेबाजी की, हंगामा किया। इससे वरिष्ठ भाजपा संसद लालकृष्ण आडवाणी भी नाराज हो गए।