नई दिल्ली, नरेन्द्र अरुणाचल प्रदेश में प्रेसिडेंट रूल लगाने की सिफारिश की है। रविवार को नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में हुई कैबिनेट मीटिंग में इस पर चर्चा हुई। दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ने इसे ‘संविधान की हत्या’ करार दिया है। उन्होंने कहा कि बीजेपी इलेक्शन हार गई तो अब पिछले दरवाजे से सत्ता हथियाने की कोशिश कर रही है।” वहीं कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने सरकार के फैसले को पॉलिटिकल इन्टॉलरेंस बताया है।
टुकी ने आरोप लगाया कि उन्होंने ही राज्य में सरकार गिराने के लिए कांग्रेस के विधायकों को साथ मिलाकर बगावत कराई। 14 जनवरी को गुवाहाटी हाईकोर्ट ने असेंबली के दिसंबर में बुलाए दो दिन के सेशन को ही रद्द कर दिया। जिसमें सरकार के खिलाफ नो कॉन्फिडेंस और स्पीकर के खिलाफ इम्पीचमेंट (महाभियोग) मोशन लाया गया था। टुकी सरकार ने असेंबली को सील करा दिया और पार्टी के बागी विधायकों के साथ एक होटल में मीटिंग बुलाई।पिछले साल दिसंबर में गहराए सियासी संकट के दौरान टुकी ने गवर्नर ज्योति प्रसाद राजखोवा को बीजेपी एजेंट बताया था।
अरुणाचल असेंबली में कुल 60 सीटें हैं। 2014 में हुए इलेक्शन में कांग्रेस को 42 सीटें मिली थीं। बीजेपी के 11 और पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश (PPA) को पांच सीटें मिलीं। पीपीए के 5 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसके बाद सरकार के पास 47 एमएलए हो गए। लेकिन मौजूदा हालात में सीएम टुकी के पास सिर्फ 26 विधायकों का ही सपोर्ट है। सरकार बचाने के लिए कांग्रेस को कम से कम 31 विधायकों का सपोर्ट चाहिए। अरुणाचल प्रदेश में पिछले कई दिनों से राजनीतिक उठापटक चल रही है। कांग्रेस सरकार के 21 विधायक बागी हो गए हैं। 16-17 दिसंबर को सीएम नबाम टुकी के कुछ एमएलए ने बीजेपी के साथ मिलकर नो कॉन्फिडेंस मोशन पेश किया था, जिसमें सरकार की हार हुई। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सरकार असेंबली भंग करने के मूड में नहीं है और जोड़-तोड़ की तमाम कोशिशें जारी हैं।