प्रयागराज, तीर्थराज प्रयाग में माघ मेला के तीसरे सबसे बड़े स्नान पर्व ‘मौनी अमावस्या’ के अवसर पर मंगलवार को गंगा,यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर आस्था का समंदर हिलोरें मारते दिखा। त्रिवेणी तट पर सुबह आठ बजे तक 50 लाख से अधिक स्नानार्थी पवित्र डुबकी लगा चुके थे।
देश के अलग अलग कोनो से आये बच्चे, युवा और बुजुर्गों के समूह कोरोना संक्रमण के डर और अव्यवस्था की चिंता किए बिना माघ मेला क्षेत्र में पहुंच रहे हैं। संगम तट पर दूधिया रोशनी के बीच श्रद्धालुओं ने ब्रह्म मुहूर्त से घने कोहरे के बीच स्नान शुरू कर दिया। शीत लहर का झाेंका भी श्रद्धालुओं की आस्था को डिगा नहीं पाया। संगम तट पर भीड़ इस कदर उमड़ी मानो आस्था का समंदर हिलोरे मार रहा है।
संगम में स्नान करते समय समय बडी संख्या में श्रद्धालु मौन रहे तो कुछ हर-हर महादेव, जै गंगे, और ओम नम: शिवाय का जप करते रहे। आस्था की मौन डुबकी लगाने के बाद श्रद्धालुओं ने मां गंगा का विधिविधान से पूजन किया एवं उनको दुग्ध अर्पित किया। सूर्य देव को जल देते हुए परिवार की सुख, समृद्धि एवं स्वास्थ्य रहने की कामना किया। मेला में श्रद्धालु ऊंच-नीच, अमीर-गरीब और स्वस्थ्य- रूग्ण की दीवार ढहा एक साथ त्रिवेणी में डुबकी लगाई।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोविड के खतरे को देखते हुए प्रदेश वासियों से अपील की है कि वैक्सीन की दोनो खुराक ले चुके और पूर्ण स्वस्थ्य लोग ही माघ मेला में स्नान करने आए। बुजुर्ग, बीमार एवं बच्चों को लेकर माघ मेला क्षेत्र में बिल्कुल भी प्रवेश न/न करें।
मेला क्षेत्र में देश के कोने कोने से आने वाली बड़ी भीड़ के बीच कोविड नियमों के अनुरूप पालन कराना मेला प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। मेला क्षेत्र में स्थापित कंट्रोलरूम से जारी आंकडों के अनुसार सुबह से आठ बजे तक करीब 50 लाख श्रद्धालुओं ने पुण्य की डुबकी लगायी। इससे पहले सोमवार को भी मौनी अमावस्या के अंश को मानते हुए रात 12 बजे तक 50 लाख लोगों ने संगम स्नान किया। सोमवार से लेकर अब तक करीब एक करोड़ श्रद्धालु त्रिवेणी में आस्था की डुबकी लगा चुके हैं। स्नान का क्रम अनवरत जारी है। मेला क्षेत्र में ठसाठस भीड़ है। श्रद्धालुओं का रेला निरंतर मेला की तरफ बढ़ता ही आ रहा है।
कड़ाके की सर्द और शीत लहरी पर श्रद्धालुओं की आस्था भारी पड़ रही है। न कोई आमंत्रण और न ही किसी तरह
का निमंत्रण श्रद्धा से भरपूर श्रद्धालुओं की भीड़ सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी रखे प्रयागराज की सड़कों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों से भीड़ मेला क्षेत्र की ओर लगातार बढ़ती दिखायी दी।
ज्यातिषियों के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या की तिथि सोमवार की रात दो बजकर 18 मिनट पर शुरू हुई और मंगलवार को पूर्वाह्न 11 बजकर 15 मिनट पर समाप्त होगी। मौनी अमावस्या स्नान के लिए रविवार की शाम से श्रद्धालुओं के पहुंचने का सिलिसला शुरू रहा। बाहर से आने वाले श्रद्धालु परिचित के संतो, कल्पवासियों के शिविर में आसरा लेकर भजन पूजन में लीन रहे।
माघ मेला में आस्था और अध्यात्म के साथ आधुनिकता का भी संगम नजर आ रहा है। सदियों में बहुत कुछ बदला है। नहीं बदली तो सिर पर गठरी और कंधे पर कमरी, जो मेले की रौनक है। श्रद्धालुओं का रेला त्रिवेणी में गोता लगाने के लिए कई किलोमीटर की दूरी पैदल चलकर संगम पहुंच रहा है। चारों ओर आस्था का रेला नजर आ रहा है।
आस्था का ऐसा जमघट लगने लगा है कि मौनी अमावस्या की दिव्यता चारों ओर निखरने लगी।
प्रदेश के मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र रविवार को माघ मेला में मौनी अमावस्या स्नान की तैयारियों को लेकर दौरा कर चुके हैं। उन्होने सभी प्रकार की व्यवस्था से अपने को संतुष्ट पाया।
माघ मेला पुलिस अधीक्षक राजीव नारायण मिश्र ने बताया कि सुरक्षा के लिए कड़े बन्दोबस्त किये गये हैं। पुलिस, पीएसी, आरएएफ और ड्रोन की निगरानी में पूरा मेला क्षेत्र है। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षा के कड़े बन्दोबस्त किए गये हैं। संगम नोज एटीएस कमांडो के हवाले किया गया है। मेला क्षेत्र में लगे कैमरों से निगरानी के लिए साइबर सेल की टीम को भी लगाया गया है।
मिश्र ने बताया कि संगम टावर समेत नौ वाच टावर से पांच सेक्टर में बसे स्नान घाटों समेत पूरे मेला क्षेत्र में संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर पूरे क्षेत्र की सघन चेकिंग की जा रही है। किसी भी स्थिति से समय रहते निबटने के लिए सभी घाटों पर जल पुलिस के जवानों के साथ राष्ट्रीय आपदा अनुक्रिया बल (एनडीआरएफ) और पुलिस और प्राइवेट गोताखोर की रेस्क्यू टीम तैनात किया गया है।
कोविड-19 के नोडल अधिकारी डा ऋषि सहाय ने बताया कि श्रद्धालुओं की अधिक भीड़ को देखते हुए डाक्टरों की संख्या में इजाफा किया गया है। मेला क्षेत्र में बनाए गए सभी 16 प्रवेश द्वार पर 10-10 की संख्या में डाक्टरों की 20 टीमें तैनात की गयी है। उन्होने बताया कि मेला क्षेत्र के आसपास एवं शहरी क्षेत्र के कुछ निजी अस्पतालों को अलर्ट मोड में रहने का निर्देशित किया गया है। इसके अलावा स्वरूप रानी नेहरू अस्पताल, कोटवा सीएचसी और चाका समेत अन्य अस्पतालों में डाक्टरों की टीम दो फरवरी तक 24 घंटे रहेगी।