लखनऊ, उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा अभी हाल ही में दिये गये यश भारती पुरस्कार को चुनौती देने वाली याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्ड पीठ ने आज कड़ा रुख अ ितयार करते हुए सरकार से कई बिन्दुओं पर जवाब मांगा है। न्यायाधीश एपी साही और न्यायाधीश एआर मसूदी की बेंच ने सरकार से पूछा है कि ये पुरस्कार राज्य सरकार द्वारा किस वित्तीय मद से दिए जा रहे हैं। साथ ही उन्होंने पुरस्कार देने के लिए निर्धारित अर्हता और चयन के लिए अपनाये जाने वाली प्रक्रिया के बारे में भी पूछा है।
अदालत ने यह भी पूछा है कि क्या इस प्रकार के पुरस्कार उपाधि नहीं देने की संवैधानिक व्यवस्था के अनुरूप हैं? इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने यह टिपण्णी की है कि पुरस्कार मांगे नहीं जाते, स्वयं दिए जाते हैं जैसा इस मामले में हुआ है। अमिताभ ने इस याचिका में कहा था कि जिस प्रकार पहले चुपके-चुपके 22 नाम घोषित किये गए और बाद में एक बार 12 और दुबारा 12 नाम बढ़ा कर कुल 46 नाम कर दिए गए हैं। इसके साथ ही मुख्य सचिव आलोक रंजन की पत्नी सुरभि रंजन को यह पुरस्कार दिया, उससे साफ जाहिर हो जाता है कि ये पुरस्कार मनमाने तरीके से दिए जा रहे हैं। इसलिए अदालत से उन्होंने यह प्रार्थना की है कि इस पुरस्कार को रद्द करते हुए पारदर्शी प्रक्रिया और नियमानुसार पुरस्कार दिये जाने की व्यवस्था की जाए।