पुणे, भारत के पूरव राजा और दिविज शरण ने इस सत्र में एटीपी सर्किट पर चार युगल खिताब जीतकर शीर्ष 70 में जगह बनाई है लेकिन अपने ही देश में अपनी उपलब्धियों का सम्मान नहीं किये जाने से दोनों थोड़े निराश हैं और वे टेनिस में युगल स्पर्धा के बारे में लोगों की राय बदलना चाहते हैं। राजा और शरण ने दो दिन पहले ही पुणे चैलेंजर खिताब जीता है, इससे पहले उन्होंने सेगोविया, सर्बिटन और मैनचेस्टर में युगल ट्राफी जीती थी। इतना ही नहीं उन्होंने मेक्सिको लास काबोस में एटीपी 250 खिताब जीता था। इसके अलावा उन्होंने वल्र्ड टूर में अटलांटा, गस्टाद और नयूपोर्ट स्पर्धा के सेमीफाइनल में भी प्रवेश किया था। इससे प्रत्येक ने मौजूदा कैलेंडर में 1200 से ज्यादा अंक अपनी झोली में डाले। इनके अलावा केवल मैट रेड और जान पैट्रिक स्मिथ की टीम ही एक साथ चार चैलेंजर स्तर के खिताब जीतने में सफल रही है। चार टीमों ने तीन खिताब जीते हैं। एकल खिलाडियों को हमेशा ही ज्यादा तवज्जो मिलती है लेकिन उन्हें लगता है कि भेदभाव नहीं होना चाहिए। राजा की रैंकिंग 66 है, उन्होंने कहा, हम सुर्खियों में आने के भूखे नहीं हैं। हम सरल हैं, लेकिन कोई नहीं जानता कि हम विश्व रैंकिंग में 60वें स्थान पर हैं। भारत के बाहर अगर आप 60 या 70वीं रैंकिंग में होते हैं तो लोग आपको जानते हैं और आपका समर्थन करते हैं। आप जो भी चाहते हो, वे आपको देते हैं। वे आपकी उपलब्धियों को समझते हैं। लेकिन भारत में ज्यादा लोग नहं जानते इसलिये आप उन्हें भी दोषी नहीं ठहरा सकते। हमने इस सत्र में छह से सात फाइनल खेले हैं।