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युवा सोच : लैपटॉप की राशि से बनवाया शौचालय

phpThumb_generated_thumbnail(मेधावी छात्र अरुण ने लैपटॉप के लिए मिली 11 हजार रुपए की छात्रवृत्ति मांगूबाई का शौचालय बनाने के लिए दे दी।)
इंदौर.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छता संग्राम अभियान में सरकारी नुमाइंदों की कोशिशों के बीच ग्रामीण युवा ने अनूठा उदाहरण पेश किया है। हर घर शौचालय के नारे को चरितार्थ करने के लिए एक मेधावी छात्र ने लैपटॉप के लिए मिली छात्रवृत्ति से जरूरतमंद के लिए शौचालय बनवा दिया।
 
बोरिया पंचायत में 270 परिवार हैं।एक माह पहले तक 70 घरों में शौचालय नहीं थे। गांव को खुले में शौच से मुक्त करने की पहल एक कार्यक्रम में विधायक मनोज पटेल ने 60 हजार रुपए देकर की।इस आयोजन में बीएससी प्रथम वर्ष के छात्र अरुण मकवाना भी मौजूद थे।गांव की मांगूबाई ने परेशानी जाहिर की कि शौचालय बनाने में असमर्थ है। मेधावी छात्र अरुण ने लैपटॉप के लिए मिली 11 हजार रुपए की छात्रवृत्ति मांगूबाई का शौचालय बनाने के लिए दे दी।दो दिन बाद ही उसे छात्रवृत्ति की राशि मिली और उसने अपना संकल्प पूरा किया। अरुण की पहल के बाद युवाओं ने इससे सीख लेकर गांव की तस्वीर बदलने की ठान ली।
 
युवाओं की टोली गांव को खुले में शौच से मुक्त करने के लिए जुट गई। गुप्त दान के जरिये 40 गरीबों के घरों में शौचालय बनवाए। यहां तक कि फसल काटने के लिए आने वाले मजदूरों के लिए 6 सार्वजनिक शौचालय बनवाए हैं।
 
मोदी करना चाहते हैं मन की बात
अरुण के कार्य की चर्चा केंद्र सरकार तक पहुंची तो वहां से एडिशनल डायरेक्टर संध्यासिंह गांव यह देखने आईं कि वाकई छात्र ने एेसी पहल की हैं? अरुण से बात की और कहा, 26 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मन की बात कार्यक्रम में उसे बुलाना चाहते हैं।
 
कम नहीं थी मुश्किल
गांव की सरपंच संतोषबाई और पूर्व सरपंच सरदारसिंह ने भी कई गरीब परिवारों को शौचालय बनवाकर दिए, लेकिन पंचायत को ओडीएफ बनाने में कई दिक्कतें आईं। गांव का एक व्यक्ति अड़ गया। बोला, मैं तो खुले में ही शौच करूंगा। देखता हूं कौन रोकेगा? समझाना चाहा तो तलवार लेकर मारने आ गया। उन्होंने कहा, हमने हिम्मत नहीं हारी और अभियान आगे बढ़ाया।
 
लैपटॉप के बगैर भी पढ़ सकता हूं। इसे बाद में भी खरीदा जा सकता है। अपने गांव के एक परिवार का खुले में शौच के लिए जाना, मुझे मंजूर नहीं था, इसीलिए यह कदम उठाया।
अरुण मकवाना, बोरिया