नई दिल्ली, 2017 में होने वाले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनावी मैदान में उतर सकती है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि उसकी इस रणनीति से सीएम के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतर रहे विपक्षी दलों पर भी बढ़त बनायी जा सकती है।
एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, समाजवादी पार्टी में चल रही पारिवारिक कलह और बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपो ने भाजपा पदाधिकारियों में ऊर्जा का संचार किया है। भाजपा को लगता है कि कांग्रेस के चेहरे के रूप में शीला दीक्षित से उसे ज्यादा खतरा नहीं है। भाजपा प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा का कहना है, मुलायम सिंह का दावा है कि पार्टी उनके द्वारा तैयार की गयी है। इसके अलावा, मुलायम बार-बार अखिलेश को सरकार के काम काज और अनुशासन की कमी को लेकर फटकार लगाते रहते हैं, जिसका मतलब है कि सपा एक असफल नेता के नेतृत्व में वोट मांगने चुनावी मैदान में जाएगी। जहां क्षेत्रीय पार्टियां आपसी कलह में उलझी हैं वहीं भाजपा इसे एक मौके के रुप में देख रही है और चुनावों में बिना सीएम के चेहरे के साथ एक एकजुट परिवार के रूप में जाने को तैयार है। पार्टी ने लगभग तय कर लिया है कि वो यूपी चुनाव में बिना चेहरे के उतरेगी।
वहीं कांग्रेस, बसपा, और सपा सीएम पद के चेहरे के साथ चुनावी मैदान में उतरेगें। भाजपा इन चुनावों में पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखकर चुनाव लड़ेगी। हालांकि पार्टी कार्यकर्ता यूपी चुनाव की अंतिम रणनीति को लेकर अभी भी पेशोपेश में हैं। कार्यकर्ताओं का मानना है कि एकजुट परिवार के रूप में चुनावी समर में उतरने से पार्टी एक दिखेगी। एक पार्टी कार्यकर्ता का कहना है, हम एक अनुशासित काडर बेस्ड पार्टी है जिसमें वंशवाद की राजनीति नहीं है, जैसा कि सपा, बसपा और कांग्रेस में है। समाजवादी पार्टी में अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में आपसी कलह चल रही है। भले ही फिलहाल यह लड़ाई समाप्त हो गयी हो लेकिन टिकट बटवारे के समय यह कलह फिर खुलकर सामने आ सकती है। वहीं बसपा की बात की जाए तो मायावती के खुद के नेता ही उन पर पैसे लेकर टिकट देने के आरोप लगा रहे हैं।