यूपी में पिछले 69 दिन में टीबी के 89 हजार से अधिक मरीजों की पहचान

लखनऊ, उत्तर प्रदेश को तपेदिक रोग से मुक्त बनाने के प्रयास के तहत 100 दिवसीय ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) अभियान के पहले 69 दिन में 75 जिलों में 89 हजार 967 मरीजों की पहचान की गयी है।

स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि 74 प्रतिशत उच्च जोखिम वाले मरीजों तक विभागीय टीम पहुंच चुकी है और साढ़े 12 लाख से अधिक लोगों को टीबी के बचाव की दवा खिलाई गई है।

राज्य क्षय रोग अधिकारी डॉ. शैलेंद्र भटनागर ने मंगलवार को बताया कि लक्षणविहीन लोगों को टीबी न हो, इसके लिए टीबी प्रिवेंटिव ट्रीटमेंट (टीपीटी) के तहत दवा खिलाई जा रही है। अभियान के दौरान 12 लाख 65 हजार 376 लोगों को टीपीटी दिया गया है।

उन्होंने बताया कि अभियान में अब तक कुल 89 हजार 967 टीबी मरीजों की पहचान हुई है जिनमें से 73 हजार 231 का इलाज शुरू कर दिया गया है। सभी 75 जिलों में लगभग साढ़े तीन करोड़ की उच्च जोखिम की जनसंख्या को आच्छादित कर 2.54 करोड़ लोगों की टीबी के संभावित लक्षणों के आधार पर स्क्रीनिंग की गई और एक्सरे, नॉट या माइक्रोस्कोपिक जाँच की गई। अभियान के दौरान कुल चार लाख 78 हजार 763 निक्षय शिविर लगाकर टीबी की स्क्रीनिंग की गई और जागरूकता अभियान चलाया गया। औसतन प्रतिदिन 4809 निक्षय शिविर लगाए गए।

डॉ. भटनागर ने बताया कि अब तक अभियान में सर्वाधिक 4050 टीबी के मरीज लखनऊ में मिले हैं। इसके बाद आगरा में 3545, सीतापुर में 2854, अलीगढ़ में 2802, कानपुर में 2688, प्रयागराज में 2282, गोरखपुर में 2025 और वाराणसी में 2015 केस मिले हैं।

उन्होंने बताया कि पूरे प्रदेश में सबसे कम केस श्रावस्ती (247) में मिले हैं। इसके बाद महोबा में 309, चित्रकूट में 346, संत रवीदास नगर में 353 और शामली में 360 मरीज मिले हैं। डॉ. भटनागर ने बताया कि सात दिसम्बर से उन 15 जनपदों में 100 दिवसीय टीबी सघन अभियान शुरू हुआ था जहाँ टीबी से होने वाली मौतों की संख्या अधिक थी और नए टीबी रोगियों और संभावित टीबी रोगियों की पहचान दर राष्ट्रीय औसत से कम थी। दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में मुख्यमंत्री ने अभियान की समीक्षा करते हुए इस अभियान को सभी 75 जनपदों में लागू करने के निर्देश दिए थे।

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