नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। सभी 403 सीटों के रुझान सामने आ चुके हैं, जिसमें से भाजपा की आंधी में सपा बसपा समेत कांग्रेस भी पूरी तरह से साफ हो चुकी है। 1991 के बाद भाजपा की यह पहली बड़ी जीत है। एक बार फिर से यहां पर पिछले लोकसभा चुनाव का स्लोगन घर-घर मोदी सुनाई भी दे रहा है। भाजपा की इस जीत के साथ ही न सिर्फ उत्तर प्रदेश बल्कि देश में बदलाव की नई बयार शुरू होने के पूरे आसार दिखाई देने लगे हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह यह भी है कि अब तक लोकसभा में बहुमत होने के बाद भी सरकार को राज्यसभा में विपक्ष का मुंह देखना पड़ता था। यूपी की इस जीत के बाद राज्यसभा में उसको अधिक सीटें मिल जाएंगी, जिसकी बदौलत भाजपा को अपने बिल पास कराने में मदद मिलेगी। यूपी की इस जीत के बाद सरकार कुछ कड़े कदम उठाने के लिए भी आगे बढ़ सकेगी। इस जीत के साथ ही देश की जनता को इन कड़े कदमों के लिए तैयार रहना होगा।
पिछले वर्ष नोटबंदी को लेकर छिड़ी बहस पर इस जीत ने पूरी तरह से विराम लगा दिया है। यहां पर जनता ने अपने वोट से यह साफ कर दिया है कि नोटबंदी उनके लिए परेशानी का सबब जरूर थी लेकिन बदलाव की इस बयार में वह पूरी तरह से सरकार के साथ है। इसमें यह इस भी पूरी तरह से साफ हो गया है कि नोटबंदी को लेकर विपक्ष के फैलाए प्रचार को जनता ने पूरी तरह से खारिज कर दिया है वहीं केंद्र पर भरोसा जताया है। यह भरोसा पूरी तरह से पीएम मोदी के नेतृत्व में बनी सरकार के प्रति है। यूपी के इस चुनाव में पीएम मोदी ने लोगों को उनपर भरोसा करने का एक विकल्प दिया है जिसको यूपी की जनता ने स्वीकार किया है। इस चुनाव में मिली अप्रत्याशित जीत के बाद यूपी को आने वाले समय में फायदा भी हो सकता है। यह फायदा विकास के तौर पर दिखाई दे सकता है, जिसमें यूपी और केंद्र में बनी एक समान पार्टी की सरकार की जुगलबंदी जरूर दिखाई देगी। यह न सिर्फ इसलिए जरूरी होगा कि वर्ष 2019 में लोकसभा चुनाव केंद्र के सामने है। इसके बाद दिल्ली का भी विधानसभा चुनाव भाजपा के सामने होगा जहां पर पिछले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भाजपा और कांग्रेस को साफ कर दिया था।