उत्तर प्रदेश सरकार ने कॉर्पोरेट सेक्टर की तरह आक्रामक ढंग से बड़े पैकेजों पर डॉक्टरों को तैनात करने की योजना बनाई है. यूपी के स्वास्थ्य विभाग के मुखिया प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने कहा कि डॉक्टरों की भर्ती के लिए उन्हे एनएचएम के तहत रखा जायेगा. साथ ही बेस प्राइस तय कर उन्हें खुद के लिए जरूरी वेतन का ऑफर रखने का मौका दिया जाएगा. प्रदेश भर में डॉक्टरों की भारी कमी को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने अनोखा फर्मूला इजाद किया है.
प्रमुख सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने कहा, बोली से सामने आए अनुमानित वेतन और सरकार की नीतियों की तुलना कर अंतिम निर्णय लिया जायेगा, इससे दूरदराज में तैनाती को लेकर आनाकानी करने वाले डॉक्टरों की भी समस्या दूर होगी. बता दें कि योगी सरकार काफी कोशिश के बाद भी यूपी में विशेषज्ञ डॉक्टरों की भारी कमी की चुनौती से जूझ रही है. सत्ता में आने के बाद योगी सरकार ने डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति आयु 60 से बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी.
इंयिन पब्लिक हेल्थ स्टैंडर्ड यानी आईपीएचएस के अनुसार उत्तर प्रदेश में कुल 27 हजार 686 विशेषज्ञ डॉक्टरों की जरूरत है. वहीं सिर्फ एमबीबीएस डॉक्टरों की बात करें तो ये संख्या 8 हजार 872 है. वहीं वर्तमान स्थिति ये है कि स्वास्थ्य विभाग में इस समय सिर्फ 3200 विशेषज्ञ डॉक्टर ही मौजूद हैं.
योगी सरकार ने पिछले दिनों कर्नाटक सरकार के बिडिंग मॉडल का अध्ययन किया. इसमें पैकेज देकर डॉक्टरों की भर्ती की जाती है. अब एनएचएम के तहत प्रदेश के हर सरकारी अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की आॅनलाइन बिडिंग करने होगी. इसके लिए हर अस्पताल और सीएचसी के लिए इच्छुक डॉक्टर उसी के लि आवेदन करेंगे. उन्हें बताना होगा कि वह साल भर का कितना पैकेज लेंगे. इसके बाद पैकेज सही लगने पर सरकार डॉक्टरों को तैनाती देगी.