लखनऊ , आबकारी विभाग ने होटल और रेस्टोरेंट में बीयर बार लाइसेंस का 85 साल पुराना प्रावधान बदल दिया है। होटल और रेस्टोरेंट में बीयर बार लाइसेंस व्यवस्था खत्म कर दी है। यूपी की योगी सरकार ने नई आबकारी नीति के तहत प्रदेश में एक अप्रैल 2019 से बीयर बार के लाइसेंस खत्म कर दिए हैं। होटेल और रेस्तरां को पहले दिए गए बीयर बार के लाइसेंसों का अब नवीनीकरण नहीं होगा। विभाग अब बीयर बार के लाइसेंस की जगह सीधे बार का लाइसेंस देगा। हालांकि, शराब असोसिएशन नई आबकारी नीति में हुए इस बदलाव का विरोध कर रही है।
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आबकारी विभाग के उच्चाधिकारियों की मानें तो आए दिन शिकायतें मिलती हैं कि होटेल और रेस्तरां में बीयर बार का लाइसेंस लेकर शराब परोसी जाती है। इससे जहां एक ओर सरकारी खजाने को लाखों के राजस्व का चूना लग रहा था। वहीं दूसरी ओर उन होटेल और रेस्तरां मालिकों को नुकसान हो रहा है, जिन्होंने बार का लाइसेंस ले रखा है। वजह, बार का लाइसेंस लेने वाले होटेल और रेस्तरां मालिकों को फीस ज्यादा देनी पड़ रही है जबकि कम फीस देकर बीयर बार के लाइसेंस के नाम पर लोग उनके ग्राहकों में सेंध लगा रहे हैं।
नई नीति में आबकारी विभाग ने बीयर बार लाइसेंस को लेकर करीब 85 साल पुराने नियम को बदल दिया। आबकारी मंत्री जय प्रताप सिंह ने बताया कि नए नियम के मुताबिक अब अगर कोई अपने होटेल और रेस्तरां में बीयर बार का लाइसेंस लेना चाहेगा तो उसे बार का लाइसेंस लेना होगा और उसे बार लाइसेंस की फीस जमा करना होगी। इस बदलाव के बाद अब एक अप्रैल 2019 से बीयर बार के लाइसेंस का नवीनीकरण नहीं होगा। अभी तक बीयर बार की सालाना लाइसेंस फीस 2.5 लाख रुपये थी, जबकि बार लाइसेंस के लिए अब सरकारी खजाने में 8.80 लाख रुपये की सालाना फीस जमा करनी होगी।
उप्र शराब असोसिएशन के महासचिव कन्हैयालाल मौर्य का कहना है कि बीयर बार का लाइसेंस खत्म नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बीयर बार की सालाना फीस ढाई लाख रुपये थी, लेकिन बार का लाइसेंस लेने पर अब होटेल और रेस्तरां वालों को अब चार गुना फीस देनी होगी। असोसिएशन के कोषाध्यक्ष सुरेश प्रताप सिंह ने बताया कि बीयर बार खत्म करने का होटेल और रेस्तरां असोसिएशन पहले से विरोध कर रही है। जल्द ही वह इसको लेकर आबकारी आयुक्त से मिलेंगे और इस संशोधन को वापस लेने की मांग करेंगे।