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वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने बजट प्रस्तावों को सदन के पटल पर रखते हुये कहा कि प्रस्तुत बजट का आकार 08 लाख 08 हजार 736 करोड़ 06 लाख रुपये है जो वर्ष 2024-2025 के बजट से 9.8 प्रतिशत अधिक है। बजट में पूँजीगत परिव्यय कुल बजट का लगभग 20.5 प्रतिशत है। पूँजीगत परिव्यय के अन्तर्गत अवसंरचना निर्माण, विस्तार और निवेश संबंधी व्यय आते हैं। उद्योग, आवागमन, उत्पादों की बाजार तक पहुंच तथा प्रदेश में पूँजी निवेश को आकर्षित करने जैसे महत्वपूर्ण गतिविधियों में पूँजीगत व्यय की भूमिका अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है।
बजट में अवस्थापना विकास के लिये 22 प्रतिशत, शिक्षा के लियेे 13 प्रतिशत, कृषि और सम्बद्ध सेवाओं के लिये 11 प्रतिशत, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में छह प्रतिशत, सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिये चार प्रतिशत एवं संसाधन आवंटित किये गये हैं। बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को वन ट्रिलियन डॉलर बनाए जाने का लक्ष्य रखा है। इसको ध्यान में रखते हुये सरकार ने कृषि एवं संवर्गीय सेवाएँ, अवस्थापना, उद्योग, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, शिक्षा, पर्यटन, नगर विकास, वित्तीय सेवायें, ऊर्जा, पूँजी निवेश आदि चिन्हित करते हुये सेक्टरवार कार्ययोजना तैयार की है। सम्बन्धित विभागों द्वारा सेक्टरवार कार्य योजना पर कार्य चल रहा है जिसकी समीक्षा नियमित रूप से की जा रही है।
उन्होने कहा कि सुचारू नीति कार्यान्वयन, व्यापार को आसान बनाने, ईज ऑफ यूइंग बिजनेस तथा निवेश आकर्षित करने के लिये सत्त विकास के कार्य के प्रति समर्पण भाव से प्रदेश के समस्त अंचलों में संतुलित निवेश का समग्र प्रवाह एवं नागरिकों के जीवन उन्नयन के लिये दीर्घकालिक मूल्यों एवं व्यवस्थाओं को सुनिश्चित किया गया है।
श्री खन्ना ने कहा कि सरकार राज्य को एक मुख्य निवेश केन्द्र तथा देश के ग्रोथ इंजन के रूप में स्थापित करने के अपने मिशन को कार्यान्वित करने के लिये प्रतिबद्ध है।
उन्होने कहा कि वर्ष 2017-2018 में प्रदेश की अर्थव्यवस्था पूरी तरह बदहाल थी तथा जीएसडीपी मात्र 12.89 लाख करोड रुपये के स्तर पर था। उनकी सरकार के कार्यकाल में प्रदेश की अर्थव्यवस्था को दो गुना कर दिया है। वर्ष 2024-2025 में प्रदेश की जी.एस.डी.पी. 27.51 लाख करोड़ रहने का अनुमान है। हम देश में विकास दर में वृद्धि करने वाले राज्यों में अब अग्रणी स्थान पर खड़े हैं।
वित्त मंत्री ने कहा कि वर्ष 2023-2024 में भारत देश की जी.डी.पी. की वृद्धि दर 9.6 प्रतिशत थी जबकि हमारे प्रदेश की वृद्धि दर 11.6 प्रतिशत रही है। वित्तीय वर्ष 2016-2017 में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय मात्र 52,671 रुपये थी। मात्र तीन वर्ष की अवधि में प्रति व्यक्ति आय 2019-2020 में बढ़कर 65,660 रुपये के स्तर पर पहुँच गयी।
इसके उपरान्त कोविड महामारी की विभीषिका के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था को झटका लगा। इसके बाद मात्र तीन वर्ष में 14.9 प्रतिशत अप्रत्याशित वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त करते हुये हम प्रति व्यक्ति आय को वर्ष 2023-2024 में 93,514 रुपये के स्तर पर ले आये हैं। इस अवधि में सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों का विकास व्यय क्रमशः 10.9, 11.9 एवं 12 प्रतिशत रहा, जबकि उत्तर प्रदेश में यह औसत क्रमशः 13.8, 16 एवं 16.7 प्रतिशत रहा।
उन्होने कहा कि समस्त राज्यों द्वारा कुल व्यय के प्रतिशत के रूप में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर किये गये व्यय के औसत की तुलना में, वित्तीय वर्ष 2018-2019 तथा 2021-2022 के अलावा वर्ष 2017-2018 से 2024-2025 तक उत्तर प्रदेश द्वारा किया गया व्यय लगातार अधिक रहा। वर्ष 2017-2018 में सभी राज्यों के औसत अनुपात 5.0 प्रतिशत के सापेक्ष उत्तर प्रदेश का अनुपात 5.3 तथा 2024-2025 में 5.6 प्रतिशत के सापेक्ष 5.9 प्रतिशत रहा है।
श्री खन्ना ने कहा कि प्रदेश की ऋणग्रस्तता जो वर्ष 2016-2017 की समाप्ति पर जीएसडीपी का 36.7 प्रतिशत थी घट कर वर्ष 2022-2023 के वास्तविक आँकड़ों में 30.4 प्रतिशत हो गयी है। प्रदेश सरकार द्वारा न केवल अपने आंतरिक संसाधनों की अभिवृद्धि पर जोर दिया गया है, अपितु विकास व्यय एवं स्वास्थ्य सेवाओं पर व्यय बढ़ाया गया है और ऋणग्रस्तता में कमी लायी गई है। यह सरकार के कुशल वित्तीय प्रबन्धन का परिचायक है।
श्री खन्ना ने कहा कि नीति आयोग ने वित्तीय वर्ष 2014-2015 से 2022-2023 तक की अवधि के लिये राज्यों की राजकोषीय स्थिति के संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की है, जिसमें उत्तर प्रदेश को अग्रणी (फंट रनर) राज्य की श्रेणी में रखा गया है। समेकित ‘फिस्कल हेल्थ इन्डेक्स’ जो वर्ष 2014 से 2019 की अवधि में 37.0 था, 2022-2023 में बढ़कर 45.9 हो गया है।
रिपोर्ट के अनुसार व्यय की गुणवत्ता में व्यापक सुधार हुआ है। वर्ष 2018 से 2023 की अवधि में पूँजीगत व्यय, कुल व्यय के 14.8 प्रतिशत से 19.3 प्रतिशत के मध्य रहा। इस अवधि में यह अनुपात देश के प्रमुख राज्यों के औसत अनुपात से अधिक रहा। सामाजिक क्षेत्र में पूँजीगत व्यय में 27 प्रतिशत तथा राजस्व व्यय में 9 प्रतिशत वार्षिक दर से वृद्धि हुई। इसी प्रकार, आर्थिक सेवाओं के अन्तर्गत भी पूँजीगत व्यय में पर्याप्त वृद्धि परिलक्षित हुई। वित्तीय वर्ष 2018-2019 में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पर व्यथ कुल व्यय का 4.9 प्रतिशत था जो वर्ष 2022-2023 में बढ़कर 6.5 प्रतिशत हो गया, जो देश के प्रमुख राज्यों में सर्वाधिक था।
उन्होने कहा कि प्रदेश का राजकोषीय घाटा निर्धारित सीमा के अधीन रहा है। राजस्व बचत तथा प्राथमिक बचत के कारण सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में ऋणग्रस्तता में कमी दर्ज की गयी। भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा राज्यों के बजट के संबंध में वित्तीय वर्ष 2024-2025 में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार देश के सभी राज्यों की स्वयं के कर की प्राप्तियों में उत्तर प्रदेश का अंश वर्ष 2022-2023, 2023-2024 एवं 2024-2025 में क्रमशः 9.9 प्रतिशत, 10.5 प्रतिशत एवं 11.6 प्रतिशत रहा जो महाराष्ट्र के उपरान्त देश में सर्वाधिक है।
इस दौरान सभी राज्यों में राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष ब्याज पर व्यय क्रमशः 12.6, 12.3 एवं 12.1 प्रतिशत रहा जबकि उत्तर प्रदेश में यह प्रतिशत 10.3, 9.4 एवं 8.9 रहा। सकल राज्य घरेलू उत्पाद के प्रतिशत के रूप में सभी राज्यों की स्वयं के कर से प्राप्ति का औसत उक्त वर्षों में क्रमशः 6.5, 7.0 तथा 7.2 प्रतिशत रहा, जब कि उत्तर प्रदेश में यह अनुपात क्रमशः 7.6, 9.8 तथा 10 प्रतिशत रहा।
वित्त मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों में उत्तर प्रदेश में निवेश आकर्षण, औद्योगिक एवं अवस्थापना विकास में उल्लेखनीय प्रगति हुई है तथा प्रदेश भारत में सबसे पसंदीदा निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है। अवस्थापना सुविधाओं का त्वरित विकास किया गया है। कई निवेशोन्मुख नीतियां घोषित की गई है तथा कारोबारी माहौल में अभूतपूर्व सुधार किया गया है, जिससे प्रदेश की छवि आर्थिक रूप से पिछड़े राज्य से परिवर्तित होकर एक प्रगतिशील राज्य के रूप में स्थापित हुई है। विश्व स्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में उत्तर प्रदेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है।
उन्होने कहा कि राज्य में विकसित हो रही वायु, जल, सड़क एवं रेल नेटवर्क की कनेक्टिविटी से राज्य के उद्योगों एवं मैन्युफैक्चरिंग इकाईयों को अपना माल भारत एवं विदेशों के बाजारों में भेजने के लिये परिवहन के विभिन्न साधनों के बीच निर्बाध रूप से स्विच करने की सुविधा प्रदान करेगी। कानून व्यवस्था तथा विद्युत आपूर्ति में अभूतपूर्व सुधार, सक्रिय नीतिगत निरूपण एवं इन्वेस्ट यूपी में निवेश सारथी, निवेश मित्र तथा ऑनलाइन प्रोत्साहन लाभ प्रबंधन प्रणाली जैसी डिजिटल सुविधाओं से निवेश प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित हुई है, जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़ा है तथा राज्य में व्यापार करने के लिये अनुकूल वातावरण सृजित हुआ है।
श्री खन्ना ने कहा कि सरकार ने प्रदेशवासियों को गुणवत्तापूर्ण एवं सस्ती चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कई प्रभावी कदम उठाये हैं। इसका नतीजा है कि वर्ष 2017 से पहले बीमारू प्रदेश कहे जाने वाला उत्तर प्रदेश आज स्वास्थ्य सेवाओं में उत्तम प्रदेश बनकर उभरा है।
उन्होंने बताया कि वर्तमान में प्रदेश में 80 मेडिकल काॅलेज हैं, जिनमें 44 राज्य सरकार द्वारा संचालित हैं एवं 36 निजी क्षेत्र में हैं। प्रदेश में 2 एम्स एवं आईएमएस, बीएचयू, वाराणसी तथा जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, अलीगढ़ संचालित हैं। वर्ष 2024-2025 में 13 स्वाशासी चिकित्सा महाविद्यालय एवं पीपीपी मोड पर महाराजगंज, सम्भल तथा शामली में नवीन मेडिकल कॉलेज स्थापित किये गये हैं। वर्तमान में प्रदेश में राजकीय एवं निजी क्षेत्र के मेडिकल काॅलेजों/चिकित्सा संस्थानों/ विश्वविद्यालयों में एमबीबीएस की 11,800 सीटें तथा पीजी की 3971 सीटें उपलब्ध हैं।
वित्त मंत्री ने बताया कि केन्द्र सरकार द्वारा वर्ष 2025-2026 में यूजी, पीजी हेतु कुल 10,000 सीटें जोड़े जाने की घोषणा की गई है, जिसमें से 1500 सीटें उत्तर प्रदेश को प्राप्त होंगी। इस हेतु लगभग 2066 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। वर्ष 2017 में सरकारी मेडिकल कॉलेजों में सुपर स्पेशियलिटी की कुल सीटों की संख्या 120 थीं। शैक्षणिक सत्र 2024-2025 में सीटों की संख्या को बढ़ाकर 250 किया गया। बलिया तथा बलरामपुर में स्वशासी राज्य चिकित्सा महाविद्यालय की स्थापना हेतु क्रमशः 27 करोड़ रुपये तथा 25 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। वहीं आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजनान्तर्गत 5.13 करोड़ लोगों के आयुष्मान कार्ड बनाये गये हैं। आयुष्मान कार्ड बनाने में पूरे देश में उत्तर प्रदेश प्रथम स्थान पर है।
प्राथमिक स्वास्थ्य इकाईयों को आयुष्मान आरोग्य मन्दिर के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है। वर्तमान में कुल 22,681 आयुष्मान आरोग्य मन्दिर स्थापित है। उप केन्द्रों से टेलीकन्सलटेशन प्रारम्भ कर ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा सुविधायें उपलब्ध कराने का आरम्भ जुलाई, 2020 से किया गया है। प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पोषित पीपीपी मोड पर निःशुल्क डायलिसिस सेवाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। प्रदेश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा पीपीपी मोड पर जनपदीय चिकित्सालयों में सीटी स्कैन की निःशुल्क सेवा उपलब्ध करायी जा रही है।
उन्होने बताया कि विभिन्न जनपदों में वर्तमान में 2,110 आयुर्वेदिक, 254 यूनानी एवं 1585 होम्योपैथिक चिकित्सालयों के साथ ही 8 आयुर्वेदिक काॅलेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय, 2 यूनानी काॅलेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय तथा 9 होम्योपैथिक काॅलेज एवं उनसे सम्बद्ध चिकित्सालय संचालित हैं। वित्तीय वर्ष 2025-2026 में महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय, गोरखपुर का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद अयोध्या में राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय का निर्माण कार्य पूर्ण किया जाना, जनपद वाराणसी में राजकीय होम्योपैथिक मेडिकल काॅलेज की स्थापना कराया जाना लक्षित है।
श्री खन्ना ने बताया कि इस बजट में महिलाओं का खास ख्याल रखा गया है। उत्तर प्रदेश राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अन्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में 96 लाख से अधिक परिवारों की महिलाओं को आच्छादित किया गया है। ग्राम स्तर पर डिजिटल लेन-देन को प्रोत्साहित करने हेतु बी.सी.सखी योजना के अन्तर्गत 39, 556 बीसी सखी द्वारा कार्य करते हुये 31, 103 करोड़ रुपये से अधिक का वित्तीय लेन-देन किया गया व 84.38 करोड रुपये का लाभांश अर्जित किया गया। लखपति महिला योजना के अन्तर्गत 31 लाख से अधिक दीदियों का चिन्हांकन किया गया है तथा दो लाख से अधिक महिलाएं लखपति की श्रेणी में आ चुकी हैं। प्रधानमंत्री उज्जवला योजना के तहत अब तक लगभग 1.86 करोड लाभार्थियों को गैस कनेक्शन वितरित किये जा चुके हैं। योगी सरकार द्वारा उज्जवला योजना के लाभार्थियों को 02 निःशुल्क सिलिण्डर वितरित किये जा रहे हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में महिला स्वामित्व वाली प्रोड्यूसर कम्पनियों के गठन हेतु महिला सामर्थ्य योजना संचालित है।
योगी सरकार ने उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही मेधावी छात्राओं को पात्रता के आधार पर स्कूटी प्रदान किये की नई योजना लायी जा रही है। बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने हेतु सह शिक्षा की व्यवस्था के साथ-साथ बालिका छात्रावास का निर्माण, बालिकाओं का सशक्तिकरण, मीना मंच, आत्त्म रक्षा प्रशिक्षण एवं संवेदीकरण आदि गतिविधियों का क्रियान्वयन किया जा रहा है। आवासीय विद्यालय योजना प्रदेश के 12 जनपदों में संचालित है, जिनमें प्रत्येक विद्यालय में 100-100 बालक एवं बालिकाओं को प्रदेशित किये जाने का प्रावधान है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत आने वाली योजनाओं के लिए योगी सरकार ने बजट में विशेष प्रविधान किए हैं। इसके तहत निराश्रित महिला पेंशन योजनान्तर्गत पात्र लाभार्थियों को देय पेंशन के भुगतान हेतु 2980 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजनान्तर्गत 700 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था प्रस्तावित है। वाराणसी, मेरठ, प्रयागराज, गोरखपुर, कानपुर नगर, झाँसी एवं आगरा में मुख्यमंत्री श्रमजीवी महिला छात्रावासों के निर्माण की नई योजना प्रस्तावित की गई है जिसके 170 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
कोविड के दौरान जिन बच्चों ने अपने माता-पिता को खोया है उनकी देखभाल और वित्तीय सहायता हेतु संचालित उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना के लिये 252 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। पुष्टाहार कार्यक्रम के अन्तर्गत समन्वित बाल विकास परियोजनाओं पर राज्य सरकार द्वारा दिये जाने वाले पोषाहार के लिये लगभग 4119 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। आंगनबाड़ी कार्यकत्री एवं सहायिकाओं को अतिरिक्त मानदेय के भुगतान हेतु 971 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है। मुख्यमंत्री सक्षम सुपोषण योजना हेतु 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित है।
मातृत्व शिशु एवं बालिका मदद योजना के अन्तर्गत माह सितम्बर, 2024 तक 6,22.974 लाभार्थी हैं। निर्माण कामगार मृत्यु व दिव्यांगता सहायता योजना के अन्तर्गत माह सितम्बर, 2024 तक 41,453 लाभार्थी हैं। कन्या विवाह सहायता योजना के अन्तर्गत पंजीकृत श्रमिक के कुल 02 बालिकाओं के स्वजातीय विवाह की स्थिति में 55,000 रूपये तथा अन्तर्जातीय विवाह की स्थिति में 61,000 रूपये की रकम दिये जाने का प्राविधान है। निर्माण कामगार गम्भीर बीमारी सहायता योजना के अन्तर्गत गम्भीर बीमारियों का इलाज सरकारी अस्पतालों में कराने पर इलाज के व्यय की शत प्रतिशत प्रतिपूर्ति करायी जा रही है। उत्तर प्रदेश भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार बोर्ड में पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना/मुख्यमंत्री जन-आरोग्य योजना से आच्छादित कराये जाने की कार्यवाही की जा रही है।
इसके अलावा निर्माण श्रमिकों के बच्चों को निशुल्क गुणवत्तापूर्ण एवं उद्देश्यपरक शिक्षा उपलब्ध कराने की दृष्टि से प्रदेश के प्रत्येक मण्डल में 360 बच्चों की क्षमता वाला एक-एक अटल आवासीय विद्यालय स्थापित है। इन विद्यालयों की क्षमता भविष्य में बढ़ाकर 1000 प्रति विद्यालय किया जायेगा। वर्तमान में प्रदेश में बैंकों की 20,416 शाखायें, 4,00,932 बैंक मित्र एवं बी०सी०सखी तथा 18,747 ए०टी०एम० सहित कुल 4,40,095 बैंकिंग केन्द्रों के माध्यम से बैंकिग सुविधायें उपलब्ध करायी जा रही है।