लखनऊ, उत्तर प्रदेश में आगामी 12 अप्रैल को सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधानमंडल के दोनों सदनों में पूर्ण बहुमत हासिल कर करने का रिकाॅर्ड बनाने की ओर अग्रसर है।
उप्र विधान परिषद की 36 सीटों के लिये शनिवार को हो रहे मतदान के बाद 12 अप्रैल को चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले ही भाजपा के नौ सीटों पर उम्मीदवार निर्विरोध चुन लिये गये हैं। अब 27 सीटों पर आज मतदान हो रहा है।
जानकारों की राय में भाजपा विधान सभा के बाद अब विधान परिषद में भी पहली बार बहुमत पाने के लिये अग्रसर है। भाजपा की पूर्व में रही कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और रामप्रकाश गुप्त की सरकारों में पार्टी उच्च सदन में बहुमत से दूर रही थी। योगी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में यह कीर्तिमान भी अपने नाम दर्ज कराने के करीब है।
ज्ञात हो कि उप्र विधान परिषद में कुल 100 सीटें हैं। इनमें भाजपा के पास वर्तमान में 33 सीटें हैं। आज मतदान वाली 36 में से 9 सीटों पर भाजपा के उम्मीदवार पहले ही निर्विरोध चुन लिये गये हैं। आज मतदान वाली 36 सीटों पर जब 2016 में चुनाव हुआ था, तब इनमें से 31 सीटें समाजवादी पार्टी (सपा) ने जीती थीं।
हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले सपा के सात एमएलसी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। इस प्रकार वर्तमान में सपा के 17, बसपा के 4, कांग्रेस, अपना दल (एस) और निषाद पार्टी का 1-1 एमएलसी है।
भाजपा को भरोसा है कि मतदान वाली 27 सीटों में से अधिकांश सीटों पर उसकी जीत सुनिश्चित है। इस प्रकार 100 सदस्यीय उच्च सदन में उसके सदस्यों की वर्तमान संख्या 33 से बढ़कर 50 से ऊपर जाना तय है। यदि ऐसा होता है तो 1990 के बाद पहली बार किसी सरकार के पास दोनों सदनों में पुर्ण बहुमत होगा।
इस बीच अप्रैल-मई में मनोनयन कोटे की भी 06 सीटें खाली होनी हैं। इन सीटों पर विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोगों की एमएलसी के रूप में सरकार की संस्तुति पर राजभवन द्वारा मनोनयन किया जाता है। इसके अलावा 6 जुलाई को विधान परिषद की 13 और सीटें खाली होंगी। इन 13 सीटों पर विधायकों के वोट से एमएलसी का चयन होगा।
ज्ञात हो कि 2024 तक के लिये विधान परिषद के सदस्य चुने गये जय वीर सिंह गत विधानसभा चुनाव में भाजपा के विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। वहीं, उच्च सदन में नेता प्रतिपक्ष अहमद हसन के निधन के कारण भी एक सीट खाली है।
भाजपा को पूरा भरोसा है कि विधान परिषद की इन सीटों पर जल्द होने वाले चुनाव में अधिकांश सीटों पर उसके उम्मीदवारों का चुने जाने की प्रबल संभावना को देखते हुये जुलाई के बाद भाजपा उच्च सदन में भी प्रचंड बहुमत वाले दल के रूप में उभर सकेगी।
गौरतलब है कि उप्र विधान परिषद की 38 सीटें विधानसभा के सदस्यों के मतदान से चुनी जाती हैं। वहीं, 36 सीटें स्थानीय निकाय के जनप्रतिनिधियों से चुनी जाती हैं। शेष 08 सीटें शिक्षक निर्वाचन कोटे से और 08 अन्य सीटों पर पंजीकृत स्नातक मतदाता प्रतिनिधि चुने जाते हैं। बाकी की 10 सीटों पर राज्य सरकार की संस्कृति से राज्यपाल एमएलसी का मनोनयन करते हैं।