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योगी को मठाधीश मुख्यमंत्री से उम्मीद करना बेकार: अखिलेश यादव

लखनऊ, मठाधीश की तुलना माफिया से करने के बयान पर सफाई देते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि वह संतों साधुओं का सम्मान करते हैं मगर वह श्री योगी आदित्यनाथ को मठाधीश मुख्यमंत्री कहने से पीछे नहीं हटेंगे।

अखिलेश यादव ने गुरुवार को यहां पत्रकारों से कहा “ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मठाधीश मुख्यमंत्री हैं। सन्यासी क्रोध नहीं करता है मगर जबसे भाजपा लोकसभा चुनाव हारी है तबसे उनका संतुलन कुछ गड़बड़ा गया है। उनके बयान कुछ अलग तरह के आ रहे हैं। वे ध्यान हटाने के लिए इस तरह के बयान दे रहे हैं। एक मठाधीश मुख्यमंत्री से आप क्या उम्मीद कर सकते हैं।”

उन्होंने कहा “ हमने या समाजवादियों ने कभी संतो, महंतों, साधुओं के बारे में कभी कुछ नहीं कहा। अगर मुख्यमंत्री जी अपने ऊपर लेते हैं तो हम उन्हें मठाधीश मुख्यमंत्री कहेंगे।”

मुख्यमंत्री योगी के भस्मासुर वाले बयान पर पलटवार करते हुए उन्होने कहा “ भाजपा को पता है कि उसका भस्मासुर कौन है। भाजपा अपने भष्मासुर को खोज रही है। भाजपा अभी हरियाणा, कश्मीर और फिर महाराष्ट्र के चुनाव भी हारेगी। कम से कम भाजपा को अपने भष्मासुर को तो ढूढ़ना चाहिए।”

अखिलेश यादव ने कहा कि मुख्यमंत्री पर कई गंभीर मुकदमे हैं। ये पहले मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने अपने इतने गंभीर मुकदमों को वापस लिया है। सरकार को प्रदेश के टॉप टेन माफियों की सूची जारी करनी चाहिए। पता चल जाएगा कि माफिया किस दल के साथ हैं। मुख्यमंत्री के बयानों पर कहा कि प्रदेश की जनता उन्हें हटाने जा रही है। अभी भी वे पुराने डायलॉग बोल रहे हैं। इसी से पता चलता है कि उनका संतुलन कितना बिगड़ गया है।

सपा मुखिया ने कहा कि भाजपा उनकी पार्टी को बदनाम करने के लिए तमाम हथकंडे अपना रही है। जनता सब समझती है। वन नेशन वन इलेक्शन को बड़ी साजिश बताते हुए उन्होने कहा कि महिला आरक्षण की बात हुई थी, क्या महिला आरक्षण लागू हो जाएगा, क्या सरकार इसके लिए तैयार है। वन नेशन वन इलेक्शन की रिपोर्ट भाजपा की रिपोर्ट है। बता रहे हैं कि रिपोर्ट 18626 पेज की है इसे 191 दिनों में तैयार किया गया है। यानी लगभग सौ पेज प्रतिदिन तैयार हुए। इसी से पता चलता है कि कितनी सतही रिपोर्ट है। कितनी चर्चा हुई होगी। वन नेशन वन इलेक्शन वन डोनेशन हैं।

अखिलेश यादव ने कहा कि जनता को सावधान रहना चाहिए। भाजपा वन नेशन-वन इलेक्शन की बात कर रही है, इसमें अधिकारी और कर्मचारी लेटरल इन्ट्री से लाए जाएंगे। सबको पता है कि यूपी में जहां-जहां उपचुनाव है सभी जगह साजिश के तहत जाति और धर्म विशेष के बीएलओ हटा दिए गए हैं। वन नेशन-वन इलेक्शन के बाद कल को ये चुनाव आयोग भी हटा देंगे। कहेंगे हम पांच साल तक इनको वेतन क्यों दें। अगर भाजपा चुनाव खर्च घटाना चाहती है तो इतनी रैलियां क्यों करती है। भाजपा अपनी पार्टी का जिलाध्यक्ष से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव एक साथ क्यों नहीं कराती।