लखनऊ, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने योगी सरकार को बड़ा झटका दिया है। हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के उस फैसले को निरस्त कर दिया जिसके तहत शिया वक्फ बोर्ड के 6 सदस्यों को हटा दिया गया था।
लालू यादव ने खोला राज, बीजेपी ने क्यों बनाया, रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति उम्मीदवार
रिश्वतखोर जज िमश्रा बाहर, भ्रष्टाचार से लड़ने वाले, दलित जज कर्णन क्यों जेल मे?-सूरज बौद्ध
जस्टिस रंजन रॉय और जस्टिस एसएन अग्निहोत्री की वकेशन बेंच ने कहा कि हटाए गए सदस्यों को पक्ष रखने का मौका नहीं दिया गया, जोकि वक्फ ऐक्ट 1995 के तहत अनिवार्य है। हालांकि कोर्ट ने सरकार को यह छूट दी है कि वह कानून के मुताबिक नए सिरे से कार्रवाई कर सकती है।
जाट आरक्षण आंदोलन की चपेट मे यूपी भी, बीजेपी सरकार पर लगाया, धोखे का आरोप
रामनाथ कोविंद ने राष्ट्रपति पद के लिए भरा पर्चा, की सहयोग की अपील
राज्य सरकार ने 16 जून को 6 सदस्यों को यह कहकर हटा दिया था कि ये वक्फ बोर्ड की संपत्ति को लेकर हुए भ्रष्टाचार में शामिल थे। हटाए गए सदस्यों में पूर्व राज्यसभा सांसद अख्तर हसन रिजवी, मुजफ्फरनगर की अफशा जैदी, मुरादाबाद के सैय्यद वली हैदर, बरेली के सय्यद अजीम हुसैन, विशेष सचिव नजमुल हसन रिजवी और आलिमा जैदी शामिल हैं।
यूपी बोर्ड की सचिव, शैल यादव को हटाया, 22 डीआईओएस सहित, 43 अफसर बदले
बीजेपी के केंद्रीय मंत्री का अजीब बयान- किसानों की कर्ज माफी को बताया फैशन
आलिमा जैदी ने सरकार के फैसले को कोर्ट में चुनौती दी थी। इन सभी सदस्यों को समाजवादी पार्टी की पिछली सरकार ने नामांकित किया था। 15 जून को राज्य सरकार ने शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड को भंग करने का आदेश देने के साथ ही सीबीआई जांच की सिफारिश की है।प्रदेश के वक्फ राज्य मंत्री मोहसिन रजा ने शिया और सुन्नी बोर्ड को लेकर वक्फ काउंसिल ऑफ इंडिया की अलग-अलग तैयार रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी।
पदोन्नति में आरक्षण पर, सुप्रीम कोर्ट के प्रतिबंध के कारण, नया कानून बनाया जा रहा- अठावले