लखनऊ,उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने रिटायर कर्मचारियों के लिए ये बडा़ फैसला लिया है। अब संस्कृत विद्यालयों रिटायर्ड शिक्षक भी मानदेय के आधार पर काम कर सकेंगे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट ने हुई बैठक में माध्यमिक शिक्षा विभाग के इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
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संस्कृत विद्यालयों में रिटायर्ड होने वाले शिक्षकों के स्थान पर योग्य शिक्षक नहीं मिल पा रहे थे। संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों के खाली पदों पर शिक्षकों की भर्ती का प्रस्ताव माध्यमिक शिक्षा सेवा आयोग के पास भी भेजा चुका है लेकिन वहां से भर्ती न किए जाने की स्थिति में संस्कृत विद्यालयों के शिक्षण का कार्य प्रभावित हो रहा था। इसके बाद ही रिटायर्ड शिक्षकों से काम लेने के बारे में सरकार ने फैसला किया।
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पंडित सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की स्मृति में उनकी जन्म स्थली गढ़ाकोला (उन्नाव) में स्मृति भवन और पुस्तकालय की स्थापना की जाएगी। मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। इस स्मृति भवन में निराला जी की आदमकद प्रतिमा लगाई जाएगी। मौरावां पुस्तकालय को भी समृद्ध बनाने का प्रस्ताव है। इसके निर्माण में 1464.34 लाख रुपये की लागत आएगी। निर्माण के लिए उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद कार्यदायी संस्था नामित की गई है।
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प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा विभाग में मध्याह्न भोजन योजना के तहत कार्यरत रसोइयों व कुक-कम-हेल्पर का मानदेय बढ़ाकर 1500 रुपये प्रतिमाह कर दिया है। कैबिनेट की बैठक में शुक्रवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रदेश सरकार के इस फैसले से चार लाख पांच हजार 353 रसोइयों को लाभ होगा। रसोइयों को एक हजार रुपये प्रतिमाह की दर से मानदेय देने का शासनादेश दिसंबर 2009 में हुआ था, तब से इसमें कोई वृद्धि नहीं की गई थी। रसोइयों के मौजूदा मानदेय में 500 रुपये प्रतिमाह की बढ़ोत्तरी करने का फैसला दस माह के लिए है। मध्याह्न भोजन के लिए कार्यरत रसोइयों को दस महीने के लिए मानदेय रुपये एक हजार प्रति माह निर्धारित है। इसमें 600 रुपये केंद्र सरकार और 400 रुपये राज्य सरकार देती है।
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प्रदेश में अब खनन व्यवसायी खनन क्षेत्र के पांच किलोमीटर दायरे में नदी से निकलने वाले खनन का भंडारण कर सकेंगे। पूर्व में दस किमी तक के दायरे में भंडारण के लिए रोक थी। इस संबंध में हुई कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दे दी गई है। ऐसा आम लोगों को खनिजों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। कानपुर, फैजाबाद, मेरठ व बांदा के राज्य कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के शिक्षकों और उनके समकक्ष संवर्ग के कर्मचारियों को सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के मुताबिक पुनरीक्षति वेतनमान दिया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में गठित प्रदेश कैबिनेट की बैठक में शुक्रवार को इस फैसले पर मुहर लगा दी गई।
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प्रदेश सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि इन विश्वविद्यालयों में सातवां वेतनमान 1 जनवरी 2016 से प्रभावी किया गया है। इसके अलावा नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, फैजाबाद के नाम के पहले आचार्य और अन्त में फैजाबाद के स्थान पर अयोध्या शब्द भी जुड़ जाएगा। कैबिनेट ने शुक्रवार को इसके लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी है। केन्द्र सरकार के दिशा निर्देशों के अनुसार वित्तीय वर्ष 2019-20 व आगामी वर्षों में खरीफ और रबी मौसम में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना और पुनर्गठन मौसम आधारित फसल बीमा को प्रदेश में लागू करने को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत पूर्व के नियमों की भांति ही प्रभावित किसानों को बीमा कवर के रूप में वित्तीय क्षतिपूर्ति एवं सहायता प्रदान की जाएगी। इस योजना का लाभ अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित फसल के उत्पादक, फसली ऋण लेने वाले सभी ऋणी कृषक अनिवार्य रूप से और गैर ऋणी काश्तकारों को स्वैच्छिक आधार पर प्रदान की जाएगी।
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खरीफ में धान, ज्वार, बाजरा, मक्का,उर्द, अरहर, तिल, सोयाबीन एवं मूंगफली की फसल को इस योजना के तहत शामिल किया गया है जबकि रबी सीजन में गेहूं, जौ, चना, मटर, मसूर, लाही-सरसों, आलू एवं अलसी को ग्राम पंचायत स्तर पर बीमित किया जाएगा। सरकारी प्रवक्ता ने बताया कि प्रतिकूल मौसम की स्थितियों के कारण फसल की बुआई न कर पाने या बुआई असफल होने की स्थिति में बीमित कृषकों को बीमित राशि का 25 फीसदी हिस्सा तत्काल क्षतिपूर्ति के रूप में किसान को दिए जाने का प्रावधान है।
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प्रवक्ता ने बताया कि प्रतिकूल मौसमीय स्थितियों मसलन बेमौसम बरसात या अतिवृष्टि या पाला पड़ने, कम या अधिक तापमान एवं आद्रता आदि से अधिसूचित क्षेत्र में अधिसूचित फसल के नष्ट होने की सम्भावना के दृष्टिगत पुर्नगठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना को लागू किया गया है। इसके साथ ही मौसम की वास्तविक स्थिति का आंक़लन के लिए जिलों के अधिसूचित ब्लाकों में दो स्वाचालित मौसम केन्द्र स्थापित की जाएगी। मौसम केन्द्र पर उपलबध मौसम के प्रतिदिन के आंकड़ों के आधार पर फसल की सम्भावित क्षति का आंकलन किया जाएगा।
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कैबिनेट ने सरकारी अस्पतालों में एलोपैथिक व दांत के डॉक्टरों की प्रैक्टिस बंदी भत्ता केन्द्र सरकार के डॉक्टरों के बराबर करने के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। प्रैक्टिस बंदी भत्ता और मूल वेतन के साथ वेतन पाने की अधिकतम सीमा 85 हजार रुपये प्रतिमाह से बढ़ाकर दो लाख 37 हजार रुपये महीना कर दी है। 24 अगस्त 2009 से लागू मौजूदा दरों में मूल वेतन का 25 प्रतिशत तो कैबिनेट ने मूल वेतन का 20 फीसदी की शर्त के साथ और वेतन की अधिकतम सीमा बढ़ाकर सभी चिकित्सकों को प्रैक्टिस बंदी भत्ता पाने का रास्ता खोल दिया है। प्रैक्टिस बंदी भत्ते की पुनरीक्षित दरें इस साल जनवरी से लागू होंगी।
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राज्यसंपत्ति विभाग खरीदेगा 24 नए वाहन: प्रदेश कैबिनेट ने राज्य संपत्ति विभाग को 24 नए वाहन खरीदने की अनुमति दे दी। इसके अलावा 29 कंडम हो चुके वाहनों की नीलामी की जाएगी। जो 24 नए वाहन खरीदे जाएंगे उनमें आठ इनोवा क्रिस्टा (सात सीटर), एक इनोवा क्रिस्टा 8 सीटर, पांच फारज्युनर आटो एवं 10 हांडा सिटमी कार शामिल हैं।
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आशा कार्यकत्रियों की प्रतिपूर्ति धनराशि में 750 रुपये प्रति महीने की वृद्धि की गई है। प्रदेश सरकार अपने बजट से यह धनराशि देगी। इस प्रस्ताव पर मुहर लगी। प्रदेश की सभी ग्रामीण एवं शहरी आशाओं को प्रोत्साहित करने के लिए प्रदेश सरकार ने चार मुख्य गतिविधियों जिनमें मातृ स्वास्थ्य, नियमित टीकाकरण, परिवार नियोजन और बाल स्वास्थ्य शामिल हैं, में रुपये 750 रुपये प्रतिमाह की वृद्धि करने का बड़ा कदम उठाया है।आशा संगिनियों को उनेक कार्य के आधार पर प्रतिमाह 750 रुपये की वृद्धि का फैसला भी लिया गया है।
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लखनऊ के संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान के रेजीडेन्ट्स डाक्टर्स व सीनियर डिमान्स्ट्रेटर 7 वें वेतनमान आयोग की संस्तुतियों के तहत अब एम्स नई दिल्ली के डॉक्टरों के बराबर भत्ते पाएंगे। कैबिनेट ने शुक्रवार को इस प्रस्ताव पर अपनी मुहर लगा दी। इसके चलते एसजीपीजीआई के 302 सीनियर रेजीडेन्ट, 77 जूनियर रेजिडेन्ट और सात डिमास्ट्रेटर के पदों पर बैठे डाक्टरों को राहत मिलेगी। इसके चलते सरकार पर 33.91 लाख रुपए का वित्तीय भार पड़ेगा। एसजीपीजीआई के शैक्षणिक, गैर शैक्षणिक अधिकारियों, कर्मचारियों और रेजीडेन्ट डाक्टरों को एम्स नई दिल्ली के बारे के बराबर वेतनमान का निर्धारण तो पहले से ही किया जा रहा है। अब सांतवे वेतन आयोग के अनुसार एम्स के बराबर भत्ते भी मिलेंगे।
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लकड़ी के उद्योग लगाने के लिए एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाले मेगा कैटेगरी के बड़े उद्योगों को जरूरत की मात्रा के अनुसार लकड़ी लेने का लाइसेंस दिया जाएगा। इस सिलसिले में पिछली 27 फरवरी को एमओयू पर हस्ताक्षर करने वाले उद्योगों को दिक्कतों को दूर करने के लिए गठित समिति ने फैसला किया था। समिति के फैसले पर कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। राज्य सरकार ने प्रदेश में खेती की जमीन पर उद्योग लगाने के साथ कांट्रेक्ट फार्मिंग के लिए जमीन लेने की प्रक्रिया को और सरल कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन अध्यादेश के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में 12 फरवरी को हुई कैबिनेट की इसके पहले उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता संशोधन विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी गई थी, लेकिन विधानमंडल सदन की बैठक न होने की वजह से अब अध्यादेश के प्रारूप को मंजूरी दी गई है। राज्यपाल के पास अब इसे मंजूरी के लिए भेजा जाएगा।
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राज्य सरकार ने पुखरायां-घाटमपुर-बिंदकी राज्य राजमार्ग को पीपीपी माडल पर बनाने के लिए रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला हुआ। पुखरायां-घाटमपुर-बिंदकी राज्य राजमार्ग बनाने पर 1136.45 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया है। यह सड़क कानपुर देहात, कानपुर नगर और फतेहपुर के औद्योगिक क्षेत्र से होकर जाता है। इसकी लंबाई 82.530 किमी है।
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उत्तर प्रदेश वाटर सेक्टर रिस्ट्रक्चरिंग परियोजना (पैक्ट) के दूसरे चरण के लिए वित्तीय स्वीकृति की राशि को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान कर दी है। परियोजना के लिए राज्य सरकार के हिस्से की राशि 429.53 करोड़ जारी कर दिए जाएंगे। विश्व बैंक पोषित इस परियोजना पर कुल एक हजार 313.92 करोड़ पिछले साल अक्तूबर तक खर्च हो चुका है। इसमें विश्व बैंक़ की ओर से सितंबर 2018 तक 884.39 करोड़ रुपये प्रतिपूर्ति की जा चुकी है जबकि राज्य सरकार के हिस्से की राशि 429.53 करोड़ भी अब परियोजना को मिल जाएंगे। परियोजना की पूर्व स्वीकृत लागत दो हजार 835 करोड़ की राशि में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है।यह परियोजना अगले वर्ष 2020 के अक्टूबर में पूर्ण होना है। परियोजना खर्च में 70 फीसदी हिस्सा विश्व बैक की ओर से जबकि शेष 30 प्रतिशत व्यय भार राज्य सरकार की ओर से ग्रहण किया जा रहा है।