तनाव और अनियमित दिनचर्या के साथ-साथ शहरों में बढ़ रहे प्रदूषण के कारण हर दिन सांस की तकलीफ से परेशान मरीजों की संख्या बढ़ रही है। सांस की एलर्जी जिसे अस्थमा या दमा भी कहते हैं-दूषित वातावरण की देन है। ऐसे में योग के जरिये बड़ी आसानी से सांसों की बीमारी को दूर किया जा सकता है। इन नियमित आसनों की मदद से दूर हो सकती है सांस की समस्या…
1. अनुलोम-विलोम इस आसन को करने के लिए एक शांत स्थान पर सामान्य अवस्था में बैठ जाएं। उसके बाद अपने दाएं हाथ के अंगूठे से दाएं हाथ की नाक के छिद्र को बंद करें। अब बाएं नाक के छिद्र से सांस को अंदर की ओर लें और उसे अंगूठे के बगल वाली उंगलियो से बंद करें। अब दायीं नाक से अंगूठा हटाकर सांस को छोड़ें। ऐसा 4-5 बार करें। यह प्रक्रिया आप दोनों नाक से करें। यह आसन सांस की प्रक्रिया को सामान्य करता है, दिमाग शांत करता है, अनिद्रा से बचाता है, आंखों की रोशनी बढ़ाता है और मस्तिष्क संबंधी समस्या से भी मुक्ति दिलाता है।
2. सर्वांगासन पीठ के बल लेटकर किए जाने वाले इस आसन से सांसों की बीमारी दूर होती है। इसे करने के लिए पीठ के बल लेटकर पैरों को मिलाते हुए, हाथों को दोनों ओर बगल में सटाकर हथेलियां जमीन की तरफ रखें। सांस लेते हुए हाथों की सहायता से पैरों को धीरे-धीरे 30 डिग्री, फिर 60 डिग्री और अंत में 90 डिग्री तक उठाएं। फिर हाथों को उठाकर कमर के पीछे लगाएं। इस आसन को भी 4 से 5 बार दोहराएं।
3. पर्वतासन यह आसन भी सांसों की बीमांरियों को दूर करता है। इसे करने के लिए सीधे खड़े हो जाएं, इसके बाद आगे झुकते हुए दोनों हथेलियों को जमीन पर रखें। हाथों और पैरों के बीच लगभग 4 से 5 फीट का अंतर रखें। पूरे शरीर का भार हथेलियों और पंजों पर रखें। प्रयास करें कि एड़ी जमीन को स्पर्श करे। इस स्थिति में आरामदायक अवधि तक रुक कर वापस पहले की स्थिति में आएं।
4. चक्रासन इसे करने के लिए शवासन में लेट जाएं, फिर घुटनों को मोड़कर, तलवों को अच्छे से जमाते हुए एड़ियों को नितंबों से लगाएं। कोहनियों को मोड़ते हुए हाथों की हथेलियों को कंधों के पीछे थोड़े अंतर पर रखें। इस स्थिति में कोहनियां और घुटने ऊपर की तरफ रहते हैं। सांस अंदर भरकर तलवों और हथेलियों के बल पर कमर-पेट और छाती को ऊपर उठाएं और सिर को कमर की ओर ले जाए फिर सामान्य स्थिति में आएं।
5. भुजंगासन इस आसन को करने के लिए पेट के बल सीधा लेट जाएं, दोनों हाथों को माथे के नीचे टिकाएं और पैरों के पंजों को साथ रखें। अब माथे को सामने की तरफ उठाएं और दोनों बाजुओं को कंधों के समानांतर रखें जिससे शरीर का भार भुजाओं पर पड़े। अब शरीर के अग्रभाग को बाजुओं के सहारे उठाएं। इस दौरान लंबी सांस लें। कुछ सेकंड इसी अवस्था में रहने के बाद वापस पेट के बल लेट जाएं।