रंगकर्मी अभिनेता और पत्रकार जुगल किशोर का आज लखनऊ मे अंतिम संस्कार कर दिया गया । उनका कल रात उनके आवास पर निध्ान हो गया था। वह 61 साल के थे। लखनऊ मंे रंगकर्मी के रूप मंे मशहूर जुगल किशोर की फिल्मांे मंे काम करने के बावजूद रंगमंच से उनकी दूरी कम नहीं हुई । जुगल किशोर ने पीपली लाइव और दबंग 2 के अलावा ‘बाबर‘, ‘मंै मेरी पत्नी और वो‘, ‘कफन‘, हमका अइसन वइसन ना समझा, कॅाफी हाउस और वसीयत जैसी फिल्मांे मंे सशक्त किरदार निभाये । इसके साथ ही कविता, लेख, फीचर और एकिं्टग के लिए भी वह जाने जाते थे। उन्हांेने लोक कथाओं और नाटकांे को बचाने ही नहीं पहचान दिलाने के लिए भी काम किया था।
उन्हांेने लखनऊ विश्वविद्यालय से स्नातक और भारतंेदु नाट्य अकादमी से नाट्यकला मंे डिप्लोमा प्राप्त किया था। हिंदी, उर्दू एवं अंग्रेजी भाषा पर समान अध्ािकार प्राप्त जुगल किशोर ने दूरदर्शन की लगभग एक दर्जन प्रस्तुतियांे मंे अभिनय किया । लगभग 30 साल तक रंगमंच के क्षेत्र मंे अभिनय, निर्देशन, लेखन एवं अध्यापन करते रहे। उन्हांेने गुम होते लोक नाट्यांे जैसे भांड और बुंदेलखंड के तालबद्ध्ा मार्शल आर्ट ‘पई दंडा‘ को रंगमंच पर पहचान दिलाई।
जुगल किशोर को 1993 मंे सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार गोल्डन लोटस से सम्मानित किया गया ।जी-वी-अय्यर की संस्कृत फिल्म ‘श्रीमद् भगवद् गीता‘ के हिंदी संस्करण मंे भी सहयोग किया। साथ ही भारतेन्दु नाट्य अकादमी, महिला समाख्या और रामानंद सरस्वती पुस्तकालय के लिए अनेक कार्यशालाओं का संचालन भी किया। वह 1986 से 2012 तक भारतेन्दु नाट्य अकादमी, उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग मंे अभिनय का अध्यापन कर रहे थे।