नई दिल्ली, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय अब टैंकों, युद्धक विमानों, युद्धपोतों और दूसरे रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिए लाइसेंस जारी करेगा।राजपत्रित अधिसूचना में गृह मंत्रालय ने कहा कि औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग के सचिव अब रक्षा उपकरणों के विनिर्माण के लिए लाइसेंस जारी कर सकते हैं। बहरहाल, अधिसूचना में यह भी कहा गया है कि डीआईपीपी संभावित विनिर्माताओं को लाइसेंस गृह मंत्रालय की निगरानी और नियंत्रण में किया जाएगा।
एक अधिकारी ने कहा कि यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना मेक इन इंडिया की गति को तेज करने और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र को आमंत्रित करने के मकसद से किया गया है। डीआईपीपी वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत आता है और यह मुख्य रूप से निवेश एवं उद्योगों के संवर्धन को देखता है।
पहले लाइसेंस जारी करने का अधिकार पूरी तरह से गृह मंत्रालय के पास पूरी तरह सुरक्षित था। अब निजी क्षेत्र के लोग लाइसेंस के लिए सीधे डीआईपीपी के पास आवेदन कर सकते हैं। रक्षा मंत्रालय पिछले तीन वर्षों में करीब 3,3000 नए निवेश प्रस्तावों को सुरक्षा मंजूरी दी है। उसने एक जुलाई, 2015 को राष्ट्रीय सुरक्षा स्वीकृति के लिए प्रस्तावों के आकलन को लेकर नीति निर्देश जारी किए थे ताकि राष्ट्रीय सुरक्षा की जरूरतों और तेज आर्थिक प्रगति की अनिवार्यताओं के बीच संतुलन सुनिश्चित किया जा सके। गृह मंत्रालय की ओर से राष्ट्रीय सुरक्षा स्वीकृति नीति सुरक्षा मंजूरी की प्रक्रिया को तेज करने के मकसद से लाई गई थी। मेक इन इंडिया कदम के तहत सुरक्षा मंजूरी प्रक्रिया को चार-छह सप्ताह में पूरा किया जाना है।