रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा,सैन्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दुनिया में अव्वल बने भारत….
October 15, 2019
नयी दिल्ली, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रक्षा वैज्ञानिकों से अत्याधुनिक सैन्य प्रौद्योगिकी के विकास के लिए हर संभव प्रयास करने का आह्वान किया है जिससे देश रक्षा विनिर्माण में आत्मनिर्भर बनने के साथ-साथ दुनिया भर में अपनी अलग जगह बनाये।
श्री सिंह ने यहां मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति डा ए पी जे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के निदेशकों के 41 वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि अनुसंधान और विभिन्न अभियानों में उत्कृष्टता बनाये रखना समय की मांग है।
उन्होंने कहा कि दुनिया बड़ी तेजी से बदल रही है और उन्नत तथा विध्वंसकारी प्रौद्योगिकी का तेज गति से विकास किया जा रहा है। महत्वपूर्ण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्म निर्भरता हासिल करने के लिए स्वदेशी नवाचार तंत्र की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि इससे आयात पर निर्भरता कम होगी। साथ ही इस बात का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि प्रौद्योगिकी के विकास में कम समय लगे और यह मंहगी न पड़े।
अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिए अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी हासिल करने की जरूरत पर बल देते हुए रक्षा मंत्री ने वैज्ञानिकों से ऐसी तकनीकों पर ध्यान देने को अनुरोध किया जो 15-20 वर्षों तक प्रासंगिक बनी रहे। उन्होंने कहा , “ प्रौद्योगिकी के मामले में कुछ सीमाएं हैं और यह संभव है कि जटिल प्रणाली के विकास के दौरान ही इससे भी नयी तकनीक की जरूरत महसूस होने लगे। इस तरह के मामलों में समग्र तकनीक के विकास को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
डीआरडीओ और संबंधित पक्षों के बीच परस्पर तालमेल और संवाद का सुझाव देते हुए उन्होंने वैज्ञानिकों से अनुरोध किया कि वे रक्षा अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए ऐसी कार्ययोजना तैयार करे जिससे देश की रक्षा क्षमता को नया आयाम मिले। निरंतर प्रयासों से भारत ‘प्रौद्योगिकी निर्यातक’ बन सकता है जिसके बहुआयामी फायदे होंगे।
देश में अनुसंधान और विकास के लिए डीआरडीओ को मुख्य केन्द्र बताते हुए उन्होंने कहा कि यह संगठन सामरिक रक्षा प्रणालियों और ढांचागत सुविधाओं के मामले में आत्म निर्भरता हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि विश्वस्तरीय हथियार प्लेटफार्म , बख्तरबंद वाहन, मिसाइल , मल्टी बैरल राकेट लांचर, मानवरहित यान, रडार और लड़ाकू विमान बनाये जाने से देश को रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भर बनने में मदद मिलेगी।